
Jamal Khashoggi का जन्म 13 अक्टूबर 1958 को सऊदी के धार्मिक शहर मदीना में हुआ था.
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टाइम मैगजीन ने जमाल खशोगी को पर्सन ऑफ द ईयर चुना है.
जमाल की इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी.
जमाल खाशोगी चर्चित पत्रकार थे.
कौन थे जमाल खशोगी (Who was Jamal Khashoggi)
जमाल खशोगी चर्चित पत्रकार थे. जमाल की इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. जमाल खशोगी का जन्म 13 अक्टूबर 1958 को सऊदी (Saudi Arabia) के धार्मिक शहर मदीना में हुआ था. जमाल की शुरुआती शिक्षा सऊदी में ही हुई थी. उन्होंने 1983 में अमेरिका की इंडिआना विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद वे पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए. जमाल खाशोगी, डोडी फयाद के चचेरे भाई थे. फयाद, प्रिंसेज डायना के ब्वॉयफ्रेंड थे जिनकी मौत डायना के ही साथ पेरिस में हुए एक कार क्रैश में हो गई थी. अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेनाओं और मुजाहिदीनों के बीच हुए संघर्ष की रिपोर्टिंग करने के चलते जमाल पहली बार सुर्खियों में आए थे. जमाल खशोगी को 2003 में सऊदी अरब के सबसे चर्चित अखबार अल-वतन का संपादक चुना गया. लेकिन अपने क्रांतिकारी विचारों के चलते वे इस पद पर नहीं टिक सके थे.

जमाल खशोगी को इस वजह से छोड़ना पड़ा था सऊदी
सऊदी शासन के खिलाफ खुलकर लिखने के चलते जमाल खशोदी (Jamal Khashoggi) को सऊदी अरब छोड़ना पड़ा था. जमाल सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammad Bin Salman Al Saud) की नीतियों के मुखर आलोचक थे, उन्होंने अपने कुछ दोस्तों और रिपोर्टर्स को बताया था कि सऊदी में अब वे असुरक्षित महसूस करते हैं. Al Jazeera TV's के मार्च में प्रसारित हुए एक शो पर उन्होंने कहा था, ''मैं सऊदी छोड़ दूंगा, क्योंकि मैं गिरफ्तार नहीं होना चाहता हूं. मुझे दो बार नौकरी से निकाला गया क्योंकि मैं सऊदी अरब में बदलाव लाने के पक्ष में लिख रहा था.''
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जमाल खशोगी सऊदी छोड़ अमेरिका में रहने लगे थे
सऊदी छोड़ने के बाद जमाल अमेरिका के वर्जीनिया में रहने लगे थे. इस दौरान वे अखबार 'वाशिंगटन पोस्ट' में कॉलम लिख रहे थे. अपने कॉलम में जमाल अक्सर सऊदी सरकार की नीतियों की आलोचना किया करते थे. बता दें कि उन्होंने पिछले साल मोहम्मद बिन सलमान द्वारा राजकुमारों और मंत्रियों को जेल में डालने के पीछे की कहानी उजागर की थी.
जमाल खशोगी (Jamal Khashoggi) लादेन से अक्सर मिलते थे
'वाशिंगटन पोस्ट' के मुताबिक साल 1980 और 1990 में अफगानिस्तान में जमाल खशोगी की मुलाकात ओसामा बिन लादेन से हुई. इस दौरान खशोगी ने कई बार लादेन का इंटरव्यू किया था. खशोगी और लादेन अक्सर तोरा बोरा में मिलते थे. साल 1995 में लादेन से जमाल खशोगी की मुलाकात सूडान में भी हुई थी. Al Arabiya के मुताबिक खशोगी ने लादेन को हिंसा छोड़ने के लिए राजी करने की कोशिशें भी की थीं. अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमलों के बाद खशोगी ने लादेन से दूरी बना ली थी.

जमाल खशोगी और अदनान खशोगी का संबंध
जमाल खशोगी का जन्म मदीना में हुआ था, लेकिन उनका ख़ानदान तुर्की मूल का है. उनके पिता का नाम मोहम्मद खशोगी था, जो तुर्की के थे. जमाल खशोगी अदनान खशोगी के भतीजे थे. अदनान खशोगी दुनिया का कुख्यात हथियार डीलर था. अदनान को भारत में तांत्रिक चंद्रास्वामी से नजदीकियों को लेकर जाना जाता था. उन्होंने हथियारों की खरीद-फरोक्त और डीलिंग में काफी पैसा कमाया था.
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जमाल खशोगी के साथ क्या हुआ था?
जमाल खशोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. दो अक्टूबर को जमाल खशोगी दिन में एक बजे के करीब सऊदी के वाणिज्यक दूतावास के अंदर गए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक वे डिवोर्स से संबंधित डॉक्यूमेंट्स लेने के लिए दूतावास गए थे. खशोगी दूसरी शादी अपनी मंगेतर हैतिस संगीज से शादी करने वाले थे. उनकी मंगेतर हैतिस दूतावास के बाहर ही उनका इंतजार कर रही थीं. लेकिन कई घंटों तक इंतजार करने के बाद भी खशोगी बाहर नहीं आए और जमाल के दोनों फोन भी हैतिस के पास ही थे. अगले दिन सुबह सऊदी अरब की सरकार ने एक बयान जारी कर जमाल खशोगी के लापता होने की बात कही. सरकार के बयान में कहा गया कि खशोगी अपने कागजात लेने के बाद सऊदी के दूतावास से निकल गए थे और इसके बाद से वह लापता हैं.
सरकार के इस बयान का मंगेतर हैतिस संगीज और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोआन की ओर से खंडन किया गया. खशोगी की लापता होने की खबर अखबारों में प्रमुखता से छपी. सऊदी सरकार के उपर दबाव बनने के बाद तुर्की के अधिकारियों को दूतावास की तलाशी लेने की इजाजत मिली. छह अक्टूबर को छानबीन के बाद तुर्की पुलिस ने अपने बयान में कहा कि दो अक्टूबर को ही सऊदी वाणिज्यक दूतावास में मार दिया गया था. आपको बता दें कि सऊदी अरब इस बात का खंडन करता आ रहा है.
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जमाल खशोगी के आखिरी शब्द थे: ''मैं सांस नहीं ले पा रहा''
पत्रकार जमाल खशोगी के आखिरी शब्द थे मैं सांस नहीं ले पा रहा. सीएनएन ने पत्रकार के जीवन के अंतिम क्षणों के ऑडियो टेप की कॉपी पढ़ चुके एक सूत्र के हवाले से यह जानकारी दी थी. सूत्र ने सीएनएन को बताया कि कॉपी से स्पष्ट है कि हत्या पूर्व नियोजित थी और इस संबंध में पल-पल की जानकारी देने के लिए कई फोन भी किए गए थे. सीएनएन ने कहा कि तुर्की अधिकारियों का मानना है कि ये फोन रियाद में शीर्ष अधिकारियों को किए गए थे और कॉपी के अनुसार खशोगी ने अपने आखिरी क्षणों में काफी जिद्दोजहद की थी.
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