लंदन में ललित मोदी का लीज पर लिया गया घर
लंदन:
लंदन की स्लोएन स्ट्रीट पर घर होना खुद लंदनवासियों का एक सपना होता है। यहीं पर मकान नंबर 117 है जिसे आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने लीज पर लिया है। जिसे अब वह अपना 'घर' कह रहे हैं।
इस बिल्डिंग की खासियत यह है कि यह पांच मंजिला इमारत है और करीब 7000 स्क्वेयर फीट से ज्यादा की जगह और यहां पर भीतर ही लिफ्ट लगी हुई है और इस मकान में 14 कमरे हैं।
बता दें कि ललित मोदी लंदन में 2010 से रह रहे हैं जब वह भारत छोड़कर वहां चले गए हैं। भारत में आईपीएल खेल में पैसों की धांधली के आरोप लगने के बाद वह यहां से चले गए थे।
मोदी का कहना है कि उनकी जान को तमाम तरह के खतरे थे और उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं जिसके बाद उन्होंने भारत छोड़ा और लंदन में रहने लगे।
क्या मोदी में ब्रिटिन नागरिकता मिल सकेगी?
ललित मोदी ने हाल ही में इशारा किया था कि लंदन की कोर्ट और ब्रिटिश सरकार की जब भी बात होगी मामला उनके पक्ष में जाएगा।
बता दें कि जब 2011 में ललित मोदी का पासपोर्ट बहाल हुआ था तब मोदी ने 'ब्रिटेन में रहने के लिए छुट्टी' वाला वीजा लिया था।
ब्रिटिश कानून के तहत, कोई भी बिजनेसमैन जिसने देश में दो मिलियन पाउंड का निवेश किया है, वह देश में रह सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि मोदी ने करीब एक मिलियम पाउंड शेयर बाजार में निवेश किया है।
साथ ही एक नियम के तहत यह कारोबारी यह दर्शाता है कि उसके पास 10 से ज्यादा लोग नौकरी पर हैं, तो उसके लिए पीआर यानि पर्मानेंट रेजीडेंसी की राह आसान हो जाती है।
कहा जाने लगा है कि ब्रिटिश पासपोर्ट के साथ ललित मोदी बिना किसी वीजा के 170 देशों में घूम सकते हैं।
वे भारत में कोर्ट और बीसीसीआई से लगातार ऐसे ही बच सकते हैं यह बताकर कि वह 'देश से दूर' है।
मोदी पर भ्रष्टाचार के तमाम केस हैं जिसमें मनी लॉनडरिंग और टैक्स चोरी के केस भी शामिल हैं।
किसी विदेशी को किसी दूसरे देश में गिरफ्तार करने से पहले भारत को द्विपक्षीय संबंधों के बारे में सोचना पड़ेगा। हां, जानकारों का कहना है कि यदि भारत सरकार ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाएगी तो लंदन की सरकार कानून का पालन करेगी।
इमीग्रेशन कानून के जानकार गुरपाल ओप्पल का कहना है कि अगर रेड कॉर्नर नोटिस के जरिए यदि भारत सरकार ब्रिटिश सरकार पर कोई दबाव बनाती है तो ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को भेज सकती है। उनका कहना है कि ऐसा जरूरी नहीं यहां पर अच्छा चरित्र हो विदेश में आपराधिक केस चल रहा हो तो सरकार किसी नागरिक का बचाव करे।
इस बिल्डिंग की खासियत यह है कि यह पांच मंजिला इमारत है और करीब 7000 स्क्वेयर फीट से ज्यादा की जगह और यहां पर भीतर ही लिफ्ट लगी हुई है और इस मकान में 14 कमरे हैं।
बता दें कि ललित मोदी लंदन में 2010 से रह रहे हैं जब वह भारत छोड़कर वहां चले गए हैं। भारत में आईपीएल खेल में पैसों की धांधली के आरोप लगने के बाद वह यहां से चले गए थे।
मोदी का कहना है कि उनकी जान को तमाम तरह के खतरे थे और उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं जिसके बाद उन्होंने भारत छोड़ा और लंदन में रहने लगे।
क्या मोदी में ब्रिटिन नागरिकता मिल सकेगी?
ललित मोदी ने हाल ही में इशारा किया था कि लंदन की कोर्ट और ब्रिटिश सरकार की जब भी बात होगी मामला उनके पक्ष में जाएगा।
बता दें कि जब 2011 में ललित मोदी का पासपोर्ट बहाल हुआ था तब मोदी ने 'ब्रिटेन में रहने के लिए छुट्टी' वाला वीजा लिया था।
ब्रिटिश कानून के तहत, कोई भी बिजनेसमैन जिसने देश में दो मिलियन पाउंड का निवेश किया है, वह देश में रह सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि मोदी ने करीब एक मिलियम पाउंड शेयर बाजार में निवेश किया है।
साथ ही एक नियम के तहत यह कारोबारी यह दर्शाता है कि उसके पास 10 से ज्यादा लोग नौकरी पर हैं, तो उसके लिए पीआर यानि पर्मानेंट रेजीडेंसी की राह आसान हो जाती है।
कहा जाने लगा है कि ब्रिटिश पासपोर्ट के साथ ललित मोदी बिना किसी वीजा के 170 देशों में घूम सकते हैं।
वे भारत में कोर्ट और बीसीसीआई से लगातार ऐसे ही बच सकते हैं यह बताकर कि वह 'देश से दूर' है।
मोदी पर भ्रष्टाचार के तमाम केस हैं जिसमें मनी लॉनडरिंग और टैक्स चोरी के केस भी शामिल हैं।
किसी विदेशी को किसी दूसरे देश में गिरफ्तार करने से पहले भारत को द्विपक्षीय संबंधों के बारे में सोचना पड़ेगा। हां, जानकारों का कहना है कि यदि भारत सरकार ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाएगी तो लंदन की सरकार कानून का पालन करेगी।
इमीग्रेशन कानून के जानकार गुरपाल ओप्पल का कहना है कि अगर रेड कॉर्नर नोटिस के जरिए यदि भारत सरकार ब्रिटिश सरकार पर कोई दबाव बनाती है तो ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को भेज सकती है। उनका कहना है कि ऐसा जरूरी नहीं यहां पर अच्छा चरित्र हो विदेश में आपराधिक केस चल रहा हो तो सरकार किसी नागरिक का बचाव करे।
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