नई दिल्ली:
भारत ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों का समाधान संयुक्त राष्ट्र या किसी तीसरे पक्ष को शामिल किए बगैर द्विपक्षीय आधार पर हो।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमने तीसरे पक्ष को शामिल करने संबंधी कुछ बयान (पाकिस्तान की तरफ से) सुने हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि हमें इससे दूर ही रहना चाहिए।"
नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने पर भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों की सहमति का उल्लेख करते हुए खुर्शीद ने कहा, "द्विपक्षीय प्रक्रिया के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता से सैन्य अभियान महानिदेशकों ने मुलाकात की। द्विपक्षीय प्रक्रिया कभी नहीं रुकती है। हमने ऐसा कभी नहीं सुना।" उन्होंने कहा, "हम अपना पक्ष साफ कर रहे हैं कि द्विपक्षीय मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय ही हो। द्विपक्षीय आधार पर मुद्दों का समाधान करने का हमारा लंबा इतिहास रहा है।"
खुर्शीद का यह बयान इसलिए आया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप सिंह ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य प्रेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को हटा लेने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि इसकी भूमिका भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते ने ग्रहण कर ली है।
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने भारत की दलील का यह कहते हुए विरोध किया कि 'भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी द्विपक्षीय समझौते का यूएनएमओजीआईपी की भूमिका या उसकी वैधानिकता को प्रभावित नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुरूप संघर्ष विराम की निगरानी करता रहे।
शिमला में 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के मुताबिक दोनों देश 17 दिसंबर 1971 से प्रभावी नियंत्रण रेखा, संघर्ष विराम का सम्मान करने और द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से आपसी मतभेदों का समाधान करेंगे।
भारतीय और पाकिस्तानी सेना के जवानों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की जांच संयुक्त राष्ट्र से कराने की मांग की थी।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमने तीसरे पक्ष को शामिल करने संबंधी कुछ बयान (पाकिस्तान की तरफ से) सुने हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि हमें इससे दूर ही रहना चाहिए।"
नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने पर भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों की सहमति का उल्लेख करते हुए खुर्शीद ने कहा, "द्विपक्षीय प्रक्रिया के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता से सैन्य अभियान महानिदेशकों ने मुलाकात की। द्विपक्षीय प्रक्रिया कभी नहीं रुकती है। हमने ऐसा कभी नहीं सुना।" उन्होंने कहा, "हम अपना पक्ष साफ कर रहे हैं कि द्विपक्षीय मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय ही हो। द्विपक्षीय आधार पर मुद्दों का समाधान करने का हमारा लंबा इतिहास रहा है।"
खुर्शीद का यह बयान इसलिए आया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप सिंह ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य प्रेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को हटा लेने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि इसकी भूमिका भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते ने ग्रहण कर ली है।
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने भारत की दलील का यह कहते हुए विरोध किया कि 'भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी द्विपक्षीय समझौते का यूएनएमओजीआईपी की भूमिका या उसकी वैधानिकता को प्रभावित नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुरूप संघर्ष विराम की निगरानी करता रहे।
शिमला में 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के मुताबिक दोनों देश 17 दिसंबर 1971 से प्रभावी नियंत्रण रेखा, संघर्ष विराम का सम्मान करने और द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से आपसी मतभेदों का समाधान करेंगे।
भारतीय और पाकिस्तानी सेना के जवानों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की जांच संयुक्त राष्ट्र से कराने की मांग की थी।
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