
हर साल भारत से एक फिल्म ऑस्कर भेजी जाती है. लेकिन लगभग हर साल इस फिल्म के चुनाव को लेकर फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) पर सवाल उठते हैं. इसी मुद्दे पर मुंबई में FFI ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें ऑस्कर के लिए फिल्म चुनने की पूरी प्रक्रिया बताई गई. FFI के प्रेसिडेंट फिरदौस उल हसन ने कॉन्फ्रेंस में कहा, "निर्माताओं और निर्देशकों के लिए अपनी फिल्म जमा करने का वक्त शुरू हो गया है. फिल्म जमा करने की पूरी प्रक्रिया और सभी डिटेल्स हमारी वेबसाइट पर हैं. अभी हम जूरी बनाने की प्रक्रिया में हैं, जो अकादमी के नियमों के मुताबिक होगी. अकादमी के हिसाब से हम 25 तक जूरी मेंबर रख सकते हैं, लेकिन हमारे अपने नियम के अनुसार यह संख्या 11 से 19 के बीच होती है".
उन्होंने आगे कहा, "हमने अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं से लोग चुने हैं- निर्देशक, निर्माता, अभिनेता, संपादक, कॉस्ट्यूम डिजाइनर आदि. स्क्रीनिंग प्रक्रिया 12 सितंबर से शुरू होगी. जहां तक फिल्म जमा करने की शर्तों की बात है, जिस भी फिल्म को जमा करना है, उसका सिनेमाघरों में कम से कम एक हफ्ते का कमर्शियल रन होना चाहिए. यह रन 1 अक्टूबर 2024 से 31 सितंबर 2025 के बीच होना जरूरी है".
कांफ्रेंस में सवाल उठा कि कई बार भारत से भेजी गई फिल्में ऑस्कर में नहीं पहुंच पातीं, तो क्या कभी इस पर मंथन हुआ है कि हम कहां चूक जाते हैं? इस पर इंडियन फिल्म्स एंड टेलीविजन एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक पंडित ने कहा, "एक बात समझ लीजिए यह संगठन फिल्ममेकर्स को यह सलाह नहीं देता कि कैसी फिल्म बनानी है और कैसी नहीं, ताकि वह ऑस्कर में जा सके. फिल्म बनाना पूरी तरह फिल्ममेकर की क्रिएटिव आजादी है. जूरी तय करती है कि कौन-सी फिल्म भेजनी है, FFI नहीं. हम, एक संस्था के तौर पर, सिर्फ भेजने का काम करते हैं. हमारा काम फिल्म का विश्लेषण करना या यह बताना नहीं है कि यह फिल्म क्यों गई और क्यों नहीं. जूरी सेलेक्ट करती है और मामला वहीं खत्म हो जाता है".
हर साल भारत से ऑस्कर के लिए भेजी गई फिल्मों को लेकर फिल्म जगत और दर्शकों के बीच अलग-अलग राय रहती है. अब देखना है कि इस साल FFI किस फिल्म को ऑस्कर के लिए चुनता है. इसका इंतजार सभी को रहेगा.
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