इजरायल और हमास युद्ध (Israel Hamas War) के जल्द ही तेज होने की आशंका जताई जा रही है. माना जा रहा है कि इजरायल की सेनाएं गाजा के इलाके में घुसेंगी, जहां पर उनका सामना हमास के लड़ाकों से होगा. इजरायल की सेना का तकनीकी दक्षता में कोई मुकाबला नहीं है. हालांकि हमास के पास भूमिगत सुरंगों का ऐसा विशाल नेटवर्क है, जिससे पार पाना इजरायल के लिए बेहद मुश्किल होगा. साथ ही कहा जा रहा है कि भूमिगत भूलभुलैया को निशाना बनाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा.
ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक, इजरायल ने 2014 में ही भूलभुलैया की इस पूरी सीमा को समझना शुरू कर दिया था. साथ ही उसने गाजा पट्टी के साथ लगती अपनी 60 किमी की सीमा पर अंडरग्राउंड बैरियर विकसित करने के लिए एक अरब डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. नई सुरंगों के निर्माण का पता लगाने के लिए एक प्रणाली पर करोड़ों डॉलर से अधिक खर्च किए जा रहे हैं - इन उपायों को 'आयरन वॉल' और 'आयरन स्पेड' का नाम दिया है.
यह सुरक्षा उसके क्षेत्र को अभेद्य बनाने के लिए थी, लेकिन लेकिन कम से कम एक मामले में छिपे हुए मार्गों का उपयोग सीमा पार हमलों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, जिसमें पिछले सप्ताह 1200 लोग मारे गए थे, साथ ही वायु, भूमि और समुद्र के माध्यम से घुसपैठ भी हुई थी.
अब जैसा इजरायल गाजा पर जमीनी हमले को लेकर संकेत दे रहा है, वही नेटवर्क उसके सैन्य प्रतिशोध को जटिल बना रहा है क्योंकि हमास का कहना है कि उसने इजरायली बंधकों को भूमिगत कमरों में रखा है.
इजरायली डिफेंस फोर्सेज के प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस ने कहा, "गाजा पट्टी को नागरिकों के लिए एक परत और फिर हमास के लिए एक और परत के रूप में सोचें." उन्होंने कहा, "हम उस दूसरी परत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जिसे हमास ने बनाया है."
भूमिगत भूलभुलैया को निशाना बनाना आसान नहीं होगा. हमास के अलावा कोई भी उनकी पूरी सीमा नहीं जानता है.
2021 में इजरायल ने कहा कि उसने गाजा के नीचे 100 किलोमीटर लंबी सुरंगों को नष्ट कर दिया है, लेकिन हमास ने जोर देकर कहा है कि उसके पास 500 किलोमीटर का नेटवर्क है, जिसमें से केवल 5 फीसदी ही प्रभावित हुआ है.
दुश्मन के खिलाफ बढ़त हासिल करने के लिए इजरायल ने 2014 में इजरायली फर्मों एल्बिट सिस्टम्स और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा विकसित एक परिष्कृत सुरंग-पहचान प्रणाली में निवेश करने का फैसला किया, ये दोनों संयुक्त रूप से मिसाइल रक्षा प्रणाली पर भी काम करते थे, जिसे आयरन डोम के नाम से जाना जाता है.
हालांकि तेल अवीव स्थित इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल स्टडीज के शोध के अनुसार, सेंसर फुलप्रूफ नहीं हैं, क्योंकि वह उन सुरंगों का पता नहीं लगा सकते हैं जो मुड़ती हैं और चौराहों से भ्रमित हो जाते हैं. रैंड कॉर्पोरेशन के एक सैन्य विशेषज्ञ स्कॉट सविट्ज ने कहा, "तकनीकी जवाबी उपायों को आगे बढ़ाने के बावजूद सुरंग बनाना एक पक्ष के लिए सतह पर दूसरे पक्ष के प्रभुत्व को सचमुच कमजोर करने का बेहद प्रभावी तरीका है." उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष "कभी नहीं जानता कि सुरंगें मौजूद हैं या नहीं, कितनी हैं या वे कहाँ हैं. वे केवल वही जानते हैं जो उन्हें मिलीं हैं."
हमास वर्षों से हथियारों, कमांड सुविधाओं और लड़ाकों को छुपाने के लिए घनी आबादी वाले गाजा के नीचे सुरंगों का उपयोग करता रहा है. समय के साथ, वेंटिलेशन और बिजली के साथ मार्ग अधिक प्रभावी हो गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ 35 मीटर की गहराई तक पहुंचते हैं और रेल पटरियों और संचार कक्षों से भी सुसज्जित हो सकते हैं. उनका प्रवेश द्वार अक्सर आवासीय भवनों या अन्य सार्वजनिक सुविधाओं में होता है.
सबसे पहले भूमिगत नेटवर्क का उद्देश्य मुख्य रूप से मिस्र से जमीन की उस छोटी सी पट्टी में सामान और हथियारों की तस्करी करना था, जिससे इजरायल 2005 में हट गया था. हालांकि आतंकियों ने इसका इस्तेमाल सीमा पार छापे के लिए भी किया, जिसमें 2006 का ऑपरेशन भी शामिल था जिसमें उन्होंने 19 साल के इजरायली सैनिक गिलाद शालित का अपहरण कर लिया था और दो अन्य इजरायली सैनिकों की हत्या कर दी थी. इजरायल द्वारा 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करने के बदले में शालित को पांच साल बाद रिहा कर दिया गया था.
इजरायल ने भूमिगत भूलभुलैया से छुटकारा पाने के लिए 2014 में गाजा में जमीनी आक्रमण किया था, जिसका इस्तेमाल हमास के आतंकवादियों ने 50 दिवसीय युद्ध के दौरान इजरायली बलों पर घात लगाने के लिए किया था. मिस्र ने भी लगभग एक दशक पहले सुरंगों को नष्ट करने के लिए एक अभियान शुरू किया था.
सुरंग परिसर का पता लगाने के लिए रोबोट का उपयोग जोखिम को कम कर सकता है, लेकिन सविट्ज ने चेतावनी दी है कि सीमित स्थानों, बूबी ट्रैप और अन्य बचावों और लड़ाकों की भूमिगत वातावरण के बारे में अधिक जानकारी के कारण जो इजरायली सैनिक उनमें प्रवेश करने की कोशिश करेंगे, उन्हें "गंभीर नुकसान" होगा.
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