नई दिल्ली:
गृह मंत्रालय यह जानने में जुटा है कि मई के पहले हफ्ते उसे आतंकी हमले के बारे में जो गलत सूचना दी गई उसके पीछे आईएसआई का कोई डबल एजेंट तो नहीं है जो फिलहाल रॉ में है। इसका मकसद भारत−पाक बातचीत को पटरी से उतारना भी हो सकता है।
इस सूचना की मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भारतीय अखबारों में इसके छपने के एक ही घंटे के अंदर पाकिस्तानी मीडिया ने इसे गलत करार दिया। यह भी साफ किया कि इनमें से तीन लाहौर में कारोबारी हैं और ये कभी पाकिस्तान छोडकर गए ही नहीं।
सवाल यह है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों को इतने भरोसे लायक ख़बर मिली कहां से और यह ख़बरी कौन था जिस पर इतना यक़ीन किया गया।
गृह मंत्री ने तो एनडीटीवी इंडिया के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिा और गृह सचिव ने साफ जवाब नहीं दिया। हालांकि सूत्र कह रहे हैं कि भारतीय एजेंसियों को अब शक रहा है कि उन्हें किसी डबल एजेंट ने गुमराह किया जो आईएसआई का मोहरा रहा होगा। और यह खबर भारत को शर्मिंदा करने के लिए प्लांट कराई गई।
इसकी वजह से दस दिन बाद होने वाली गृह सचिवों की बैठक से पहले भारत बैकफुट पर आ गया है।
इस सूचना की मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भारतीय अखबारों में इसके छपने के एक ही घंटे के अंदर पाकिस्तानी मीडिया ने इसे गलत करार दिया। यह भी साफ किया कि इनमें से तीन लाहौर में कारोबारी हैं और ये कभी पाकिस्तान छोडकर गए ही नहीं।
सवाल यह है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों को इतने भरोसे लायक ख़बर मिली कहां से और यह ख़बरी कौन था जिस पर इतना यक़ीन किया गया।
गृह मंत्री ने तो एनडीटीवी इंडिया के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिा और गृह सचिव ने साफ जवाब नहीं दिया। हालांकि सूत्र कह रहे हैं कि भारतीय एजेंसियों को अब शक रहा है कि उन्हें किसी डबल एजेंट ने गुमराह किया जो आईएसआई का मोहरा रहा होगा। और यह खबर भारत को शर्मिंदा करने के लिए प्लांट कराई गई।
इसकी वजह से दस दिन बाद होने वाली गृह सचिवों की बैठक से पहले भारत बैकफुट पर आ गया है।
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