
गुड़ हो या गोबर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सबकुछ अमेरिका में ही बनवाना चाहते हैं. उन्होंने इसी पॉलिसी पर काम करते हुए टैरिफ वॉर शुरू किया था. अब उन्होंने Apple के CEO टिम कुक से भारत में iPhone का उत्पादन बंद करने और इसके बजाय अमेरिका में iPhone बनाने को कहा दिया है. तो अगर ट्रंप साहब का यह आदेश Apple ने मान लिया तो अमेरिका का भला हो जाएगा? अब भला होगा या नहीं, यह तो नहीं पता लेकिन iPhone खरीदने के लिए तीन गुना दाम देने के लिए तैयार होना पड़ेगा.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगर भारत की जगह अमेरिका में iPhone बनाना शुरू हो जाता है, तो इसकी कीमत 3,000 अमेरिकी डॉलर हो जाएगा. यह प्रति iPhone 1,000 अमेरिकी डॉलर की मौजूदा लागत के लगभग तीन गुना है.
ट्रंप खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे?
अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, महरत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) के डायरेक्टर जनरल प्रशांत गिरबाने ने कहा, "Apple कंपनी और अमेरिकी प्रशासन दोनों को अक्ल. उन्हें इन तथ्यों का एहसास होगा- सबसे पहले, अगर वे चीन, भारत या वियतनाम की जगह अमेरिका में iPhone के निर्माण करने का निर्णय लेते हैं, तो 1,000 अमेरिकी डॉलर वाले iPhone की कीमत 3,000 अमेरिकी डॉलर होगी. क्या अमेरिकी
उपभोक्ता इसके लिए 3,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने को तैयार हैं.?"
प्रशांत गिरबाने ने कहा, "मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियां अमेरिका से दूर होकर भारत की ओर नहीं जा रही हैं, वे तो चीन से भारत की ओर जा रही हैं ताकि उनके पास एक विविध सप्लाई चेन हो, और अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं को एक ऐसे देश के प्रभुत्व (हेगेमनी) से बचाया जा सके जो व्यापार के मामले में उनके (अमेरिका) साथ सबसे अनुकूल नहीं है."
उन्होंने कहा कि भले अभी ट्रंप की इस टिप्पणी को लेकर काफी गर्मागर्मी है, लेकिन समय के साथ चीजें सामान्य हो जाएंगी.
भारत छोड़ने में कोई फायदा नहीं!
वहीं टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TEMA) के चेयरमैन एनके गोयल ने कहा, "अब, दुनिया और भारत को पता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों पर प्रतिक्रिया देने से पहले हमें कुछ समय इंतजार करना होता है. जहां तक Apple का सवाल है, उन्होंने पिछले एक साल में भारत से 22 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के iPhones बेचे हैं. Apple के भारत में तीन मैन्युफैक्चरिंग सेंटर हैं और दो और की योजना है."
उन्होंने कहा कि Apple पहले ही अपनी मैन्युफैक्चरिंग आंशिक रूप से चीन से भारत ट्रांसफर कर चुका है. गोयल ने कहा, "यह Apple का कमर्शियल निर्णय होगा कि मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी है या नहीं. वे आंशिक रूप से चीन से भारत चले आए हैं. यदि Apple भारत से बाहर जाता है, तो उसे बड़ा नुकसान होगा क्योंकि टैरिफ प्रतिबंध वैश्विक स्तर पर आ रहे हैं और अक्सर उसमें बदलाव होता है. टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के रूप में हमारा दृढ़ विश्वास है, Apple भारत से बाहर नहीं जाएगा."
KPMG के पूर्व पार्टनर जयदीप घोष ने कहा कि मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2025 में भारत में 1.75 लाख करोड़ रुपये के iPhones का निर्माण हुआ, जबकि पिछले साल 1.2 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ था. उन्होंने कहा, ''Apple इकोसिस्टम भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है.'' उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर Apple लंबी अवधि में भारत से बाहर जाने का फैसला करता है, तो इसका भारतीय बाजारों, खासकर रोजगार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा, "अमेरिका में iPhone का निर्माण शुरू करना आसान नहीं है."
यदि Apple भारत से अमेरिका या किसी अन्य पश्चिमी देश में फोन बनाने लगता है, तो उसे उच्च श्रम लागत (वहां महंगे लेबर या स्टाफ होंगे) का सामना करना पड़ेगा, जिससे उत्पादन खर्च बढ़ जाएगा. प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, Apple को अपने प्रॉफिट मार्जिन को कम करने की आवश्यकता हो सकती है.
यह भी पढ़ें: ऐपल CEO टिम कुक से बोले ट्रंप- भारत नहीं, अमेरिका में बनाओ iPhone
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं