चीन ने विवादित सीमा से लगे इलाकों में अपने बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास का गुरुवार को भारत से 'ज्यादा मतलब नहीं निकलाने' को कहा। साथ ही यह भी कहा कि इस कोशिश का लक्ष्य स्थानीय आबादी का आर्थिक उत्थान करना है।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल यांग युजुन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'बुनियादी ढांचे का प्राथमिक उद्देश्य आर्थिक विकास करने और स्थानीय लोगों का जीवन स्तर बेहतर करना है।'
उन्होंने पीटीआई के एक सवाल के जवाब में यह कहा। दरअसल, समाचार एजेंसी ने विवादित सीमा से लगे इलाकों में और पर्वतीय तिब्बत क्षेत्र में तेजी से किए जा रहे बुनियादी ढांचे के विकास पर भारत की बढ़ती चिंताओं के बारे में पूछा था।
तिब्बत में चीन सड़क और रेल संपर्क के अलावा करीब पांच हवाईअड्डे बना चुका है। उसने रेल पटरी अरूणाचल के नजदीक तक बिछा दी है। चीन इस राज्य के दक्षिणी तिब्बत होने का दावा करता है।
कर्नल युजुन ने कहा, 'मुझे आशा है कि भारत इसका ज्यादा मतलब नहीं निकालेगा। मुझे आशा है कि सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता संयुक्त रूप से कायम रखने के लिए दोनों देशों के बीच बनी सहमति को गंभीरता से लागू करने के लिए भारत-चीन के साथ काम करेगा।'
तिब्बत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चलाई गई परियोजनाओं ने भारत में चिंता पैदा कर दी है क्योंकि यह 23 लाख सैनिकों की क्षमता वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अपेक्षाकृत अधिक आसानी से सीमा तक अपने आदमी और साजो सामान पहुंचा सकेगी।
हालांकि, उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत द्वारा अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना के बारे में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
इस महीने चीन ने तिब्बत की प्रांतीय राजधानी लहासा से शिगत्से तक अपनी दूसरी रेल लाइन का उदघाटन किया जो सिक्किम के पास स्थित भारतीय सीमा और नेपाल के करीब तक है।
हाल में मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि पूर्वी क्षेत्र में लहासा से नयीम्गशी को जोड़ने वाली एक और रेल लाइन जल्द शुरू होने की उम्मीद है। नयीम्गशी अरूणाचल प्रदेश के पास है।
भारत ने कहा है कि सीमा विवाद 4,057 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है जबकि चीन का दावा है कि यह अरूणाचल प्रदेश के इलाके से लगे 2000 किलोमीटर तक ही है।
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