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This Article is From Jul 08, 2016

इसरो के जरिए उपग्रह लॉन्च कराने की नीति पर अमेरिकी सांसदों ने ओबामा प्रशासन पर खड़े किए सवाल

इसरो के जरिए उपग्रह लॉन्च कराने की नीति पर अमेरिकी सांसदों ने ओबामा प्रशासन पर खड़े किए सवाल
वॉशिंगटन: अमेरिका के दो प्रभावशाली सांसदों ने ओबामा प्रशासन से उस नीति के बारे में बताने के लिए कहा है, जिसके तहत देश में भारतीय अंतरिक्ष वाहनों के जरिए व्यावसायिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की अनुमति है। गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो हफ्ते पहले ही 20 उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किए हैं। इनमें से 13 उपग्रह अमेरिका के थे।

प्रशासन को लिखे पत्रों में दोनों सांसदों, लामार स्मिथ और ब्रायन बाबिन ने भारतीय प्रक्षेपक वाहनों से प्रक्षेपण के लिए वाणिज्यिक उपग्रहों के निर्यात की अनुमति देने वाली वर्तमान अमेरिकी नीति के बारे में जानकारी मांगी है। स्मिथ विज्ञान, अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष और बाबिन अंतरिक्ष उपसमिति के अध्यक्ष हैं।

चारों पत्र अंतरिक्ष एवं विज्ञान नीति कार्यालय के निदेशक जॉन होल्ड्रेन, विदेश मंत्री जॉन केरी, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रोमेन को तथा वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिट्जकर के पास भेजे गए हैं। सदन की विज्ञान, अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी मामलों की समिति ने एक बयान में कहा है कि यह घटनाक्रम भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) की हालिया सदस्यता के बाद का है तथा नीति को लागू करने के लिए वैधानिक प्राधिकार एवं प्रशासनिक प्रक्रिया को लेकर विरोधाभासी खबरें भी हैं।

भारत ने 22 जून को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में कीर्तिमान स्थापित करते हुए एक ही मिशन में 17 विदेशी और एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समेत 20 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था। तब कहा गया था कि यह महत्वपूर्ण कदम अरबों डॉलर के अंतरिक्ष प्रक्षेपण बाजार में भारत की प्रमुखता बढ़ाएगा। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसलएवी-सी34) ने चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर दूसरे लॉन्चपैड से उड़ान भरी और इसने नई पीढ़ी के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (काटरेसैट-2 सीरीज) और 19 अन्य उपग्रहों को 'सन सिंक्रोनस ऑर्बिट' (एसएसओ) या सूर्य स्थतिक कक्षा में स्थापित किया।

प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों में से 13 अमेरिका के थे जिनमें 12 प्लेनेट लैब्स संस्थान के अर्थ इमेजिंग डव उपग्रह थे। इनमें से प्रत्येक का वजन केवल 4.7 किलोग्राम था और 110 किलोग्राम वजनी अर्थ इमेजिंग उपग्रह स्काईसैट जेन-2 भी था, जिसका निर्माण गूगल के स्वामित्व वाली कंपनी ने किया था। इनमें से दो उपग्रह कनाडा के और एक-एक जर्मनी व इंडोनेशिया के थे।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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