ओबामा प्रशासन ने कहा था कि भारत की NSG सदस्यता के प्रयासों के मामले में चीन अलग-थलग हो गया है
बीजिंग:
चीन ने सोमवार को कहा कि एनएसजी में परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों का प्रवेश वह 'विदाई उपहार' (फेयरवेल गिफ्ट) नहीं हो सकता. जो कि देश एक-दूसरे को प्रदान कर सकें. चीन के इस बयान से एक दिन पहले निर्वतमान ओबामा प्रशासन ने दावा किया था कि इस विशिष्ट परमाणु समूह में भारत को एक सदस्य बनाने के प्रयासों के मामले में चीन अलग-थलग पड़ गया है.
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की उप मंत्री निशा देसाई बिस्वाल द्वारा की गई टिप्पणी पर यह प्रतिक्रिया व्यक्त की.
हुआ ने कहा, 'परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के आवेदन के संबंध में, गैर-एनपीटी देशों के प्रवेश के संबंध में हमने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, लिहाजा मैं उसे नहीं दोहराऊंगी.' बिस्वाल ने एनजएसजी सदस्यता को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में कहा था, 'स्पष्ट तौर पर एक देश अलग-थलग हो गया, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और वह चीन है.'
ओबामा प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए हुआ ने कहा, 'मैं बस इस ओर ध्यान दिलाना चाहती हूं कि एनएसजी देशों के लिए किसी तरह का विदाई उपहार नहीं होना चाहिए जिसे एक दूसरे को उपहार दिया जा सके.' चीन 48-सदस्यीय इस समूह में सदस्यता पाने के भारत के प्रयासों को बाधित कर रहा है, जबकि अधिकतर देश उसका समर्थन कर रहे हैं. चीन के विरोध का मुख्य आधार है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. चीन एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के प्रवेश के बारे में दो स्तरीय रुख अपनाना चाहता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की उप मंत्री निशा देसाई बिस्वाल द्वारा की गई टिप्पणी पर यह प्रतिक्रिया व्यक्त की.
हुआ ने कहा, 'परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के आवेदन के संबंध में, गैर-एनपीटी देशों के प्रवेश के संबंध में हमने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, लिहाजा मैं उसे नहीं दोहराऊंगी.' बिस्वाल ने एनजएसजी सदस्यता को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में कहा था, 'स्पष्ट तौर पर एक देश अलग-थलग हो गया, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और वह चीन है.'
ओबामा प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए हुआ ने कहा, 'मैं बस इस ओर ध्यान दिलाना चाहती हूं कि एनएसजी देशों के लिए किसी तरह का विदाई उपहार नहीं होना चाहिए जिसे एक दूसरे को उपहार दिया जा सके.' चीन 48-सदस्यीय इस समूह में सदस्यता पाने के भारत के प्रयासों को बाधित कर रहा है, जबकि अधिकतर देश उसका समर्थन कर रहे हैं. चीन के विरोध का मुख्य आधार है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. चीन एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के प्रवेश के बारे में दो स्तरीय रुख अपनाना चाहता है.
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