
नई दिल्ली:
भारत ने एक रूखे संदेश में गुरुवार को नेपाल से कहा कि वह ‘अपने यहां के हालात दुरूस्त करे।’ भारत ने इसके साथ ही उसकी ओर से आर्थिक नाकेबंदी के आरोपों को भी खारिज कर दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इसके साथ ही नेपाल में बढ़ती ‘भारत विरोधी’ भावनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘हम यह स्वीकार करते हैं कि भारत विरोधी भावना में बढ़ोतरी हुई है और यह कुछ ऐसा है जिसे लेकर हम गंभीर रूप से चिंतित हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस भारत विरोधी भावना को किसने भड़काया है।’
उन्होंने कहा कि नेपाल में अशांति के चलते भारतीय सामान वहां नहीं पहुंच पा रहा है।
पूरा दोष पूरी तरह से नेपाली नेतृत्व पर है
प्रवक्ता ने कहा, ‘इसके लिए पूरा दोष पूरी तरह से नेपाली नेतृत्व पर है और हम उम्मीद करते हैं कि वे इसके लिए कुछ करें ताकि नेपाल और भारत के बीच पारंपरिक मित्रता पहले जैसी जारी रहे।’ उन्होंने नेपाल के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि भारत उसे अवरूद्ध कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से कोई भी ‘आधिकारिक या गैर आधिकारिक नाकेबंदी’ नहीं है और बाधा नेपाल की ओर से निकास एवं प्रवेश स्थलों पर है।
वाहन वहां प्रवेश के इंतजार में है
उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन मात्र 250 से 300 ट्रक नेपाल में प्रवेश कर पा रहे हैं जबकि 5033 कार्गो वाहन वहां प्रवेश के इंतजार में है। उन्होंने इसके साथ ही उन घटनाओं का उल्लेख किया जिसमें भारतीय ट्रकों एवं अन्य व्यापारियों को हिंसा का सामना करना पड़ा।
नेपाल में समस्या उनकी निर्मित है
स्वरूप ने कहा, ‘नेपाल में समस्या उनकी निर्मित है। इसीलिए हम उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वे अपने लोगों तक पहुंच बनाएं। आप अपने घर को दुरूस्त करें। उन्होंने यद्यपि इस बात को खारिज किया कि भारत कभी भी ‘निर्देशात्मक’ रहा है या उनके संविधान को लेकर कोई शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि भारत केवल यह कह रहा है कि कानून व्यापक आधारित होना चाहिए जो उसकी जनसंख्या का ध्यान रखे।
नेपाल की इस धमकी पर कि यदि भारत पेट्रोलियम और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति सामान्य नहीं करता तो वह चीन से सम्पर्क कर सकता है, प्रवक्ता ने कहा कि भारत का मानना है कि केवल बातचीत से ही आगे का रास्ता निकल सकता है।
वे स्वतंत्र संप्रभु देश हैं और वे अपने निर्णय कर सकते हैं
उन्होंने कहा, ‘यद्यपि यदि वे किसी और देश से सम्पर्क करते हैं, उनका स्वागत है। वे स्वतंत्र संप्रभु देश हैं और वे अपने निर्णय कर सकते हैं। हम उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते लेकिन भारत के साथ उनका जिस तरह का ‘रोटी-बेटी’ संबंध हैं, कोई भी अन्य देश इसका स्थान नहीं ले सकता।’
भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय कह रहे हैं कि यदि भारत आवश्यक सामानों की आपूर्ति का मुद्दा नहीं सुलझाता, नेपाल मदद के लिए चीन के पास जाने को मजबूर होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इसके साथ ही नेपाल में बढ़ती ‘भारत विरोधी’ भावनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘हम यह स्वीकार करते हैं कि भारत विरोधी भावना में बढ़ोतरी हुई है और यह कुछ ऐसा है जिसे लेकर हम गंभीर रूप से चिंतित हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस भारत विरोधी भावना को किसने भड़काया है।’
उन्होंने कहा कि नेपाल में अशांति के चलते भारतीय सामान वहां नहीं पहुंच पा रहा है।
पूरा दोष पूरी तरह से नेपाली नेतृत्व पर है
प्रवक्ता ने कहा, ‘इसके लिए पूरा दोष पूरी तरह से नेपाली नेतृत्व पर है और हम उम्मीद करते हैं कि वे इसके लिए कुछ करें ताकि नेपाल और भारत के बीच पारंपरिक मित्रता पहले जैसी जारी रहे।’ उन्होंने नेपाल के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि भारत उसे अवरूद्ध कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से कोई भी ‘आधिकारिक या गैर आधिकारिक नाकेबंदी’ नहीं है और बाधा नेपाल की ओर से निकास एवं प्रवेश स्थलों पर है।
वाहन वहां प्रवेश के इंतजार में है
उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन मात्र 250 से 300 ट्रक नेपाल में प्रवेश कर पा रहे हैं जबकि 5033 कार्गो वाहन वहां प्रवेश के इंतजार में है। उन्होंने इसके साथ ही उन घटनाओं का उल्लेख किया जिसमें भारतीय ट्रकों एवं अन्य व्यापारियों को हिंसा का सामना करना पड़ा।
नेपाल में समस्या उनकी निर्मित है
स्वरूप ने कहा, ‘नेपाल में समस्या उनकी निर्मित है। इसीलिए हम उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वे अपने लोगों तक पहुंच बनाएं। आप अपने घर को दुरूस्त करें। उन्होंने यद्यपि इस बात को खारिज किया कि भारत कभी भी ‘निर्देशात्मक’ रहा है या उनके संविधान को लेकर कोई शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि भारत केवल यह कह रहा है कि कानून व्यापक आधारित होना चाहिए जो उसकी जनसंख्या का ध्यान रखे।
नेपाल की इस धमकी पर कि यदि भारत पेट्रोलियम और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति सामान्य नहीं करता तो वह चीन से सम्पर्क कर सकता है, प्रवक्ता ने कहा कि भारत का मानना है कि केवल बातचीत से ही आगे का रास्ता निकल सकता है।
वे स्वतंत्र संप्रभु देश हैं और वे अपने निर्णय कर सकते हैं
उन्होंने कहा, ‘यद्यपि यदि वे किसी और देश से सम्पर्क करते हैं, उनका स्वागत है। वे स्वतंत्र संप्रभु देश हैं और वे अपने निर्णय कर सकते हैं। हम उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते लेकिन भारत के साथ उनका जिस तरह का ‘रोटी-बेटी’ संबंध हैं, कोई भी अन्य देश इसका स्थान नहीं ले सकता।’
भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय कह रहे हैं कि यदि भारत आवश्यक सामानों की आपूर्ति का मुद्दा नहीं सुलझाता, नेपाल मदद के लिए चीन के पास जाने को मजबूर होगा।
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