काठमांडू:
भारत ने आठ वर्ष बाद नेपाल की सेना को सभी तरह के रक्षा उत्पादों की आपूर्ति को बहाल करने का निर्णय लिया है। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह द्वारा सभी लोकतांत्रिक और नागरिक अधिकारों को रद्द करने के बाद भारत ने नेपाली सेना को हर तरह की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नेपाल में वर्ष 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने सभी शक्तियां अपने हाथ में ले लीं और लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर रोक लगा दी। इसके विरोध में भारत ने नेपाल को सभी प्रकार के सैन्य हथियारों को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की 9 जुलाई की यात्रा के बाद जारी एक तथ्य पत्र में कहा गया है कि पूर्व माओवादी लड़ाकुओं को सेना में शामिल करने के बाद आने वाले समय में नेपाल को रक्षा सामानों की आपूर्ति बहाल की जाएगी।
माओेवादियों ने अपने गुरिल्लाओं को नेपाल सेना में शामिल किए जाने तक किसी भी तरह की हथियार खरीद का विरोध किया था। वर्ष 2006 में नेपाल सरकार और माओवादियों के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौते में भी मंत्रालय को हथियार खरीदने से प्रतिबंधित किया गया था।
वर्षों की सौदेबाजी के बाद 1,352 पूर्व माओवादी गुरिल्ला नेपाली सेना में शामिल कर लिए गए। इन्होंने अपना प्रशिक्षण पिछले हफ्ते ही पूरा किया है।
नेपाल को तत्काल जो सैन्य सामग्री चाहिए, उसकी कीमत भारतीय मुद्रा में एक अरब रुपये है। नेपाल-भारत शांति और मित्रता संधि 1950 के तहत नेपाल भारत से हथियार खरीदता रहा है।
नेपाल में वर्ष 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने सभी शक्तियां अपने हाथ में ले लीं और लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर रोक लगा दी। इसके विरोध में भारत ने नेपाल को सभी प्रकार के सैन्य हथियारों को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की 9 जुलाई की यात्रा के बाद जारी एक तथ्य पत्र में कहा गया है कि पूर्व माओवादी लड़ाकुओं को सेना में शामिल करने के बाद आने वाले समय में नेपाल को रक्षा सामानों की आपूर्ति बहाल की जाएगी।
माओेवादियों ने अपने गुरिल्लाओं को नेपाल सेना में शामिल किए जाने तक किसी भी तरह की हथियार खरीद का विरोध किया था। वर्ष 2006 में नेपाल सरकार और माओवादियों के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौते में भी मंत्रालय को हथियार खरीदने से प्रतिबंधित किया गया था।
वर्षों की सौदेबाजी के बाद 1,352 पूर्व माओवादी गुरिल्ला नेपाली सेना में शामिल कर लिए गए। इन्होंने अपना प्रशिक्षण पिछले हफ्ते ही पूरा किया है।
नेपाल को तत्काल जो सैन्य सामग्री चाहिए, उसकी कीमत भारतीय मुद्रा में एक अरब रुपये है। नेपाल-भारत शांति और मित्रता संधि 1950 के तहत नेपाल भारत से हथियार खरीदता रहा है।
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