
फोटो- पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर...
- भारत ने UNSC के कई सदस्य देशों के साथ इस संबंध में बातचीत शुरू की
- अन्य सह-प्रायोजकों के साथ भी सलाह-मशविरा कर रहे हैं: सरकारी सूत्र
- UNSC में भारत के अनुरोध का विरोध करने वाला चीन एकमात्र देश था.
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सरकारी सूत्रों ने कहा, 'हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और अन्य सह-प्रायोजकों के साथ भी सलाह-मशविरा कर रहे हैं'. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपने प्रस्ताव पर चीन के विरोध पर 30 दिसंबर को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि बीजिंग का फैसला आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंडों को दिखाता है.
भारत को उम्मीद थी कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 समिति में प्रस्ताव का समर्थन करेगा. इस प्रस्ताव से कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पठानकोट आतंकी हमले के मामले में अजहर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
सूत्रों ने कहा कि भारत ने जैश प्रमुख को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए नए सिरे से पहल शुरू करने की दिशा में कोई समयसीमा तय नहीं की है.
अजहर को लेकर भारत के कदम पर चीन का 'तकनीकी अवरोध' 31 दिसंबर को समाप्त हो गया था और भारत या यूएनएससी के किसी अन्य सदस्य देश को अब नए सिरे से इस संबंध में अनुरोध करना होगा.
संयुक्त राष्ट्र की समिति द्वारा अजहर को आतंकवादियों की सूची में शामिल करने से पाकिस्तान समेत कई देशों को अजहर की यात्रा पर पाबंदी लगानी होगी और उसकी संपत्ति जब्त करनी होगी. यूएनएससी की 15 सदस्यीय समिति में भारत के अनुरोध का विरोध करने वाला चीन एकमात्र देश था.
चीन ने भारत की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि उसने मामले में निर्णय लेने में न्यायोचित, उद्देश्यपरक और पेशेवर रवैया अख्तियार किया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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