नई दिल्ली:
भारत और अमेरिका ने क्षेत्र के मौजूदा रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हालात का जायजा लेने के लिए एशिया-प्रशांत पर अपनी पांचवीं क्षेत्रीय बातचीत में मंगलवार को हिस्सा लिया। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब सीमाई विवाद को लेकर दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ गया है और उत्तर कोरिया ने रॉकेट प्रक्षेपण की असफल कोशिश की है।
इस बातचीत में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व पूर्व एशिया एवं प्रशांत मामलों के सहायक विदेश मंत्री कुर्ट कैम्पबेल ने किया और भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव गौतम बम्बावाले ने किया।
बातचीत के तत्काल बाद अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "दोनों पक्षों ने व्यापक वैश्विक रुझानों पर और आपसी चिंता के क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की तथा भविष्य में नियमित रूप से आदान-प्रदान जारी रखने की बचनबद्धता दोहराई।"
कैम्पवेल खुद बातचीत से बहुत उत्साहित थे। उन्होंने यहां साउथ ब्लाक के बाहर संवाददाताओं से कहा कि पूर्व एशिया के देशों में भारत की अति महत्वपूर्ण भूमिका के लिहाज से बातचीत महत्वपूर्ण रही।
कैम्पबेल ने पिछले महीने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली म्यंग बाक के बीच सियोल में हुई बातचीत का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा, "निचले मेकांग के देशों में भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका अति महत्वपूर्ण है।"
कैम्पबेल ने कहा, "रणनीतिक बातचीत में उनका (भारतीयों) का एक हित है.. आपने भारतीय प्रधानमंत्री और कोरियाई राष्ट्रपति के बीच हुई हाल की मुलाकातों को देखा होगा.. यह भारत और उत्तर पूर्व एशिया के अन्य देशों, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के बीच चमत्कारिक रूप से सुधर रहे सम्बंधों को जाहिर करता है।"
कैम्पबेल ने आगे कहा, "एशिया में भारत की भूमिका राष्ट्रीय शक्ति के सभी पक्षों में विस्तृत है, जैसे कि आर्थिक, रणनीतिक, जनता से जनता, सांस्कृतिक और सैन्य पक्षों तक। इसलिए हम समझते हैं कि 21वीं सदी में यह घटनाक्रम एशिया का एक सबसे महत्वपूर्ण तत्व होगा।"
इस बातचीत में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व पूर्व एशिया एवं प्रशांत मामलों के सहायक विदेश मंत्री कुर्ट कैम्पबेल ने किया और भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव गौतम बम्बावाले ने किया।
बातचीत के तत्काल बाद अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "दोनों पक्षों ने व्यापक वैश्विक रुझानों पर और आपसी चिंता के क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की तथा भविष्य में नियमित रूप से आदान-प्रदान जारी रखने की बचनबद्धता दोहराई।"
कैम्पवेल खुद बातचीत से बहुत उत्साहित थे। उन्होंने यहां साउथ ब्लाक के बाहर संवाददाताओं से कहा कि पूर्व एशिया के देशों में भारत की अति महत्वपूर्ण भूमिका के लिहाज से बातचीत महत्वपूर्ण रही।
कैम्पबेल ने पिछले महीने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली म्यंग बाक के बीच सियोल में हुई बातचीत का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा, "निचले मेकांग के देशों में भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका अति महत्वपूर्ण है।"
कैम्पबेल ने कहा, "रणनीतिक बातचीत में उनका (भारतीयों) का एक हित है.. आपने भारतीय प्रधानमंत्री और कोरियाई राष्ट्रपति के बीच हुई हाल की मुलाकातों को देखा होगा.. यह भारत और उत्तर पूर्व एशिया के अन्य देशों, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के बीच चमत्कारिक रूप से सुधर रहे सम्बंधों को जाहिर करता है।"
कैम्पबेल ने आगे कहा, "एशिया में भारत की भूमिका राष्ट्रीय शक्ति के सभी पक्षों में विस्तृत है, जैसे कि आर्थिक, रणनीतिक, जनता से जनता, सांस्कृतिक और सैन्य पक्षों तक। इसलिए हम समझते हैं कि 21वीं सदी में यह घटनाक्रम एशिया का एक सबसे महत्वपूर्ण तत्व होगा।"