नई दिल्ली:
भारत ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड हेडली को 'अस्थायी' रूप से एक साल के लिए भारत को सौंप दे और उसके सहयोगी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण करे, ताकि मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल की जा सके।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी तक पहुंच हासिल करने की अपनी ताजा कोशिश के तहत भारत ने अमेरिकी अधिकारियों से आग्रह किया है कि वह हेडली को एक साल के लिए 'अस्थायी' तौर पर उसे सौंप दे।
अमेरिका ने हेडली के प्रत्यर्पण में अक्षमता जताई, जिसके बाद भारत ने यह आग्रह किया। यह आग्रह पिछले माह वाशिंगटन में आयोजित भारत-अमेरिका गृह सुरक्षा वार्ता के दौरान किया गया।
उस वार्ता में हिस्सा ले चुके एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने पीटीआई को बताया, अमेरिकी वार्ताकारों ने इस आग्रह पर सक्रियतापूर्वक विचार करने का हमें आश्वासन दिया। अमेरिका ने भारत को यह भी आश्वासन दिया कि वह हेडली के पाकिस्तानी मूल के कनाडाई मित्र राणा के प्रत्यर्पण पर भी सकारात्मक रूप से विचार करेगा।
राणा ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए 26 नवंबर के हमलों के लिए जायजा लेने में हेडली की मदद की थी। भारत के लगातार दबाव के बाद, अमेरिका ने वार्ताकारों को इंगित किया कि भारत को दूसरी बार हेडली तक पहुंच दी जा सकती है, ताकि वह 2008 हमलों को संचालित करने की साजिश के बारे में ज्यादा सूचना हासिल कर सके। अब तक अमेरिका ने राणा से पूछताछ करने का कोई अवसर नहीं दिया था।
डेनमार्क में साजिश रचने में अपनी संलिप्तता को लेकर राणा को एक अमेरिकी अदालत से सजा सुनाई गई है। भारतीय जांचकर्ता मानते हैं कि हेडली और राणा के पास ढेर सारी सूचनाएं हैं और उनसे पूछताछ से मुंबई हमले के पीछे की साजिश पर ज्यादा रोशनी पड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि 51 साल के हेडली ने 166 लोगों की जान लेने वाले मुंबई हमले समेत आतंकवाद के 12 मामलों में अपना जुर्म कबूल किया है। बहरहाल, उसने अमेरिकी अधिकारियों के साथ 'प्ली बारगेन' कर किया था, जिसके तहत उसने अपराध स्वीकार करते हुए जांच में सहयोग की बात कही थी। अमेरिका की एक अदालत ने 52-वर्षीय राणा को 14 साल की कैद की सजा सुनाई है। राणा को मुंबई हमले में दोषी नहीं ठहराया गया है।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी तक पहुंच हासिल करने की अपनी ताजा कोशिश के तहत भारत ने अमेरिकी अधिकारियों से आग्रह किया है कि वह हेडली को एक साल के लिए 'अस्थायी' तौर पर उसे सौंप दे।
अमेरिका ने हेडली के प्रत्यर्पण में अक्षमता जताई, जिसके बाद भारत ने यह आग्रह किया। यह आग्रह पिछले माह वाशिंगटन में आयोजित भारत-अमेरिका गृह सुरक्षा वार्ता के दौरान किया गया।
उस वार्ता में हिस्सा ले चुके एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने पीटीआई को बताया, अमेरिकी वार्ताकारों ने इस आग्रह पर सक्रियतापूर्वक विचार करने का हमें आश्वासन दिया। अमेरिका ने भारत को यह भी आश्वासन दिया कि वह हेडली के पाकिस्तानी मूल के कनाडाई मित्र राणा के प्रत्यर्पण पर भी सकारात्मक रूप से विचार करेगा।
राणा ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए 26 नवंबर के हमलों के लिए जायजा लेने में हेडली की मदद की थी। भारत के लगातार दबाव के बाद, अमेरिका ने वार्ताकारों को इंगित किया कि भारत को दूसरी बार हेडली तक पहुंच दी जा सकती है, ताकि वह 2008 हमलों को संचालित करने की साजिश के बारे में ज्यादा सूचना हासिल कर सके। अब तक अमेरिका ने राणा से पूछताछ करने का कोई अवसर नहीं दिया था।
डेनमार्क में साजिश रचने में अपनी संलिप्तता को लेकर राणा को एक अमेरिकी अदालत से सजा सुनाई गई है। भारतीय जांचकर्ता मानते हैं कि हेडली और राणा के पास ढेर सारी सूचनाएं हैं और उनसे पूछताछ से मुंबई हमले के पीछे की साजिश पर ज्यादा रोशनी पड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि 51 साल के हेडली ने 166 लोगों की जान लेने वाले मुंबई हमले समेत आतंकवाद के 12 मामलों में अपना जुर्म कबूल किया है। बहरहाल, उसने अमेरिकी अधिकारियों के साथ 'प्ली बारगेन' कर किया था, जिसके तहत उसने अपराध स्वीकार करते हुए जांच में सहयोग की बात कही थी। अमेरिका की एक अदालत ने 52-वर्षीय राणा को 14 साल की कैद की सजा सुनाई है। राणा को मुंबई हमले में दोषी नहीं ठहराया गया है।
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