लाहौल:
भारत ने सोमवार को पाकिस्तान से सरबजीत सिंह को मानवीय आधार पर रिहा करने की अपील की, लेकिन उसकी देखरेख के लिए गठित पाकिस्तानी मेडिकल बोर्ड ने कहा कि पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए भारतीय कैदी का इलाज वहीं चलेगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सरबजीत पर पकिस्तान से सहानुभूति और मानवीय आधार अपनाने की अपील है। लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों के प्राणघातक हमले का शिकार होने के बाद सरबजीत लाहौर के जिन्ना अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है। संघीय मंत्रियों ने विपक्षी पार्टियों से 'लोकप्रियता की राजनीति' नहीं करने और सरबजीत की मदद करने के लिए कहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यहां उपलब्ध बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को ध्यान में रखते हुए सरबजीत सिंह को भारत स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार किया जा सकता है।
एक बयान में मंत्रालय ने कहा है, "हाल की त्रासद घटनाओं और मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए हम एक बार फिर पाकिस्तान की सरकार से आग्रह करते हैं कि इस मामले में सहानुभूति और मानवीय आधार को ध्यान में लाते हुए सरबजीत सिंह को रिहा कर दे।"
यह बयान सरबजीत को देखने लाहौर गए परिवार के अनुरोध के बाद आया है। परिवार ने इलाज के लिए किसी अन्य देश भेजने की गुहार लगाई है।
सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने समाचार चैनलों के माध्यम से कहा, "बेहतर इलाज के लिए कृपया उसे किसी और देश ले जाइए। उसकी जान बचाइए।"
सरबजीत को देखने के लिए दलबीर कौर के साथ सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर और बेटियां स्वप्नदीप एवं पूनम रविवार दोपहर अमृतसर से लाहौर पहुंची।
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक भारतीय उच्चायोग के अधिकारी लाहौर के जिन्ना अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क बनाए हुए हैं और हम सरबजीत सिंह को भारत स्थानांतरित करने के विकल्प पर विचार करना चाहेंगे ताकि उसे यहां उपलब्ध बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जा सके।
बयान में कहा गया है कि सरबजीत सिंह की चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार यह स्पष्ट है कि उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। हम उसके परिवार की नाराजगी और चिंता से सहमत हैं और हमारी प्रार्थना उन लोगों के साथ है।
सरबजीत की हालत का आकलन करने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की अंतरिम सरकार की ओर से गठित चार सदस्यीय समिति ने सोमवार को कहा कि सरबजीत का पाकिस्तान में ही इलाज जारी रहेगा। जियो न्यूज के अनुसार, समिति ने पंजाब सरकार को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है।
लाहौर जिन्ना अस्पताल के प्रिंसिपल महमूद शौकत की अध्यक्षता में गठित समिति के अन्य सदस्यों में प्रोफेसर जफर इकबाल, प्रोफेसर अंजुम हबीब तथा प्रोफेसर नईम कसूरी शामिल थे। महमूद शौकत ने सरबजीत सिंह के स्वास्थ्य परीक्षण तथा दो सीटी स्कैन रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, सरबजीत को सिर में गंभीर चोट है और ऐसी स्थिति में उनका ऑपरेशन नहीं हो सकता।
लाहौर की कोट लखपत जेल में 26 अप्रैल को कैदियों ने सरबजीत सिंह पर ईंटों और अन्य धारदार वस्तुओं से हमला किया। लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत सिंह अभी तक कोमा में हैं।
उसके परिवार के सदस्य पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी विशेष वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा पर आए हुए हैं।
पाकिस्तान के एक दैनिक ने सोमवार को अपने संपादकीय में कहा है कि सरबजीत पर हमले का भारत-पाकिस्तान रिश्ते पर गंभीर असर पड़ सकता है।
डेली टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सरबजीत सिंह का भाग्य भारत और पाकिस्तान के समस्याग्रस्त रिश्ते के बीच फंस गया है। दोनों देशों के बीच रिश्ते में कभी भी बेहतरी नहीं दिखी है। उसकी दया याचिका आज भी लंबित है।
भारत में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस आरोप पर कि केंद्र सरकार ने सरबजीत की सुरक्षा पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए, एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि पार्टियां इस मुद्दे पर सस्ती लोकप्रियता का खेल नहीं खेलें।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा कि पार्टियां सस्ती लोकप्रियता का खेल नहीं खेलें, बल्कि सरबजीत सिंह के परिवार को राहत मुहैया कराने के लिए आगे आएं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सरबजीत पर पकिस्तान से सहानुभूति और मानवीय आधार अपनाने की अपील है। लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों के प्राणघातक हमले का शिकार होने के बाद सरबजीत लाहौर के जिन्ना अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है। संघीय मंत्रियों ने विपक्षी पार्टियों से 'लोकप्रियता की राजनीति' नहीं करने और सरबजीत की मदद करने के लिए कहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यहां उपलब्ध बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को ध्यान में रखते हुए सरबजीत सिंह को भारत स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार किया जा सकता है।
एक बयान में मंत्रालय ने कहा है, "हाल की त्रासद घटनाओं और मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए हम एक बार फिर पाकिस्तान की सरकार से आग्रह करते हैं कि इस मामले में सहानुभूति और मानवीय आधार को ध्यान में लाते हुए सरबजीत सिंह को रिहा कर दे।"
यह बयान सरबजीत को देखने लाहौर गए परिवार के अनुरोध के बाद आया है। परिवार ने इलाज के लिए किसी अन्य देश भेजने की गुहार लगाई है।
सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने समाचार चैनलों के माध्यम से कहा, "बेहतर इलाज के लिए कृपया उसे किसी और देश ले जाइए। उसकी जान बचाइए।"
सरबजीत को देखने के लिए दलबीर कौर के साथ सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर और बेटियां स्वप्नदीप एवं पूनम रविवार दोपहर अमृतसर से लाहौर पहुंची।
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक भारतीय उच्चायोग के अधिकारी लाहौर के जिन्ना अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क बनाए हुए हैं और हम सरबजीत सिंह को भारत स्थानांतरित करने के विकल्प पर विचार करना चाहेंगे ताकि उसे यहां उपलब्ध बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जा सके।
बयान में कहा गया है कि सरबजीत सिंह की चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार यह स्पष्ट है कि उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। हम उसके परिवार की नाराजगी और चिंता से सहमत हैं और हमारी प्रार्थना उन लोगों के साथ है।
सरबजीत की हालत का आकलन करने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की अंतरिम सरकार की ओर से गठित चार सदस्यीय समिति ने सोमवार को कहा कि सरबजीत का पाकिस्तान में ही इलाज जारी रहेगा। जियो न्यूज के अनुसार, समिति ने पंजाब सरकार को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है।
लाहौर जिन्ना अस्पताल के प्रिंसिपल महमूद शौकत की अध्यक्षता में गठित समिति के अन्य सदस्यों में प्रोफेसर जफर इकबाल, प्रोफेसर अंजुम हबीब तथा प्रोफेसर नईम कसूरी शामिल थे। महमूद शौकत ने सरबजीत सिंह के स्वास्थ्य परीक्षण तथा दो सीटी स्कैन रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, सरबजीत को सिर में गंभीर चोट है और ऐसी स्थिति में उनका ऑपरेशन नहीं हो सकता।
लाहौर की कोट लखपत जेल में 26 अप्रैल को कैदियों ने सरबजीत सिंह पर ईंटों और अन्य धारदार वस्तुओं से हमला किया। लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत सिंह अभी तक कोमा में हैं।
उसके परिवार के सदस्य पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी विशेष वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा पर आए हुए हैं।
पाकिस्तान के एक दैनिक ने सोमवार को अपने संपादकीय में कहा है कि सरबजीत पर हमले का भारत-पाकिस्तान रिश्ते पर गंभीर असर पड़ सकता है।
डेली टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सरबजीत सिंह का भाग्य भारत और पाकिस्तान के समस्याग्रस्त रिश्ते के बीच फंस गया है। दोनों देशों के बीच रिश्ते में कभी भी बेहतरी नहीं दिखी है। उसकी दया याचिका आज भी लंबित है।
भारत में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस आरोप पर कि केंद्र सरकार ने सरबजीत की सुरक्षा पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए, एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि पार्टियां इस मुद्दे पर सस्ती लोकप्रियता का खेल नहीं खेलें।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा कि पार्टियां सस्ती लोकप्रियता का खेल नहीं खेलें, बल्कि सरबजीत सिंह के परिवार को राहत मुहैया कराने के लिए आगे आएं।
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