नेपाल के साथ नए अध्याय की शुरुआत के इरादे से भारत ने आज इस हिमालयी देश के लिए 4 सी (सहयोग, संपर्क, संस्कृति और संविधान) पर ध्यान देते हुए कुछ कदमों की घोषणा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1950 की संधि के ऐसे किसी भी पहलू की समीक्षा का वायदा किया जो यहां चिंता पैदा करता हो।
मोदी ने आज अपना दो दिवसीय एतिहासिक नेपाल दौरा समाप्त किया और इस दौरान उन्होंने नेपाल की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया। भारत ने कुछ महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण करने, ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग और छात्रवृत्तियों की संख्या 180 से बढ़ाकर 250 करने में तेजी से सहयोग देने के फैसले की घोषणा की।
17 सालों में नेपाल की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल में शांति की प्रक्रिया और संविधान रचना के महत्व पर जोर दिया और वहां के नेताओं को उनकी सुविधा के हिसाब से मदद का वायदा किया।
यात्रा के संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि मोदी को अनेक राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान बताया गया कि कल शाम संविधान सभा में उनके भाषण ने नेपाल की जनता के दिल और दिमाग को छूआ है। नेपाली नेताओं ने इस यात्रा को एतिहासिक करार दिया और कहा कि उन्होंने मोदी की तरह कभी भारत के किसी नेता को कुछ कहते नहीं सुना।
अकबरुद्दीन ने माओवादी नेता प्रचंड के हवाले से कहा, 'आपने नेपाल की जनता के दिल और दिमाग को जीत लिया है।' प्रचंड ने करीब सात साल पहले मुख्य धारा में शामिल होने से पहले नेपाल में करीब एक दशक तक सशस्त्र आंदोलन चलाया था। एक अन्य नेता ने मोदी से कहा कि उनकी यात्रा एतिहासिक है जो रिश्तों को नए युग में ले जाएगी।
1950 की भारत नेपाल मित्रता संधि की समीक्षा की नेपाल से उठ रहीं मांगों के संबंध में मोदी ने नेपाली नेताओं से कहा कि उनके दरवाजे खुले हैं। अकबरुद्दीन के मुताबिक प्रधानमंत्री ने नेपाल के नेताओं से कहा कि वह 1950 की संधि के ऐसे किसी भी पहलू की समीक्षा के लिए तैयार हैं, जिसकी समीक्षा की जरूरत हो। उन्होंने कहा, 'और हम अब ऐसे किसी भी सुझाव का इंतजार करेंगे जो नेपाल देना चाहता है।'
1950 की संधि पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और नेपाल जैसे मित्रों के लिए हर मुद्दे पर बातचीत करना सर्वश्रेष्ठ होगा। और अगर किसी विशेष मुद्दे पर चिंताएं हैं तो भारत उस पर चर्चा और विचार करने के लिए तैयार है।'
बाद में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, 'दोनों प्रधानमंत्रियों (नरेंद्र मोदी और सुशील कोइराला) ने 1950 की शांति और मित्रता संधि और अन्य द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा करने और उन्हें नया स्वरूप देने पर सहमति जताई।' बयान के अनुसार दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के विदेश सचिवों को 1950 की संधि की समीक्षा के विशेष प्रस्ताव पर बैठकर चर्चा करने का निर्देश देने के संयुक्त आयोग के फैसले का भी स्वागत किया।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं