प्रतीकात्मक चित्र
काठमांडू:
भारत और नेपाल ने एक-दूसरे से लगने वाली अपनी सीमा के हर खंभे पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाने का फैसला किया है। इस आशय का फैसला देहरादून में 26-27 अगस्त को दूसरी भारत-नेपाल सीमा कार्यकारी समूह (बीडब्ल्यूजी) की बैठक में लिया गया।
बैठक में तय किया गया कि दोनों देश अपनी 1,880 किलोमीटर लंबी सीमा पर 83 नियंत्रण इकाई (कंट्रोल प्वाइंट) बनाएंगे और सीमा पर लगे सभी 8553 खंभों पर जीपीएस लगाएंगे।
बातचीत में नेपाली पक्ष का नेतृत्व करने वाले सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक मधुसूदन अधिकारी ने बताया, "एक बार जीपीएस लगने के बाद इन खंभों की तलाश उस स्थिति में आसान हो जाएगी जब किसी प्राकृतिक आपदा में इन्हें नुकसान पहुंचेगा या कोई व्यक्ति इसका अतिक्रमण करेगा। "
जीपीएस पर दोनों देशों की सहमति की वजह खंभों के अपनी जगह से इधर-उधर होने के बाद सीमा के निर्धारण के मुद्दे पर उठने वाली चुनौती है। अभी इनके अभाव में यह तय करने में दिक्कतें पेश आती हैं कि पहले ये खंभे किस जगह पर थे।
अधिकारी ने कहा कि जीपीएस खंभों पर स्थाई रूप से लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सीमा के दोनों तरफ बनने वाली 83 नियंत्रण इकाइयां (कंट्रोल प्वाइंट) सीमा पर लगे खंभों के बारे में हर तरह की जानकारियां रखेंगी।
दोनों देशों के बीच सीमा पर पड़ने वाले नदियों-नालों में और घने जंगलों वाले सोमेश्वर में विशेष तरह के खंभे लगाने पर भी सहमति बनी है।
अधिकारी के अनुसार कुल 8553 खंभों में से 1325 गायब हैं और 1956 क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं। उन्होंने कहा, "हम गायब हो चुके खंभों की जगह पर नए खंभे लगाएंगे और जो बचे हुए हैं उन्हें सफेद रंग से रंगेंगे।"
बीडब्ल्यूजी बैठक में एडीडीजे स्तर की सर्वे अधिकारी समिति के लिए नए दिशा निर्देश भी तय किए गए। यह समिति जमीनी स्तर पर काम करती है। यह सीमा के दोनों तरफ (कालापानी और सुस्ता को छोड़कर ) निर्माण-मरम्मत-पुनस्र्थापनऔर 'नो मैन्स लैंड' की सफाई का काम देखती है।
बैठक में तय किया गया कि दोनों देश अपनी 1,880 किलोमीटर लंबी सीमा पर 83 नियंत्रण इकाई (कंट्रोल प्वाइंट) बनाएंगे और सीमा पर लगे सभी 8553 खंभों पर जीपीएस लगाएंगे।
बातचीत में नेपाली पक्ष का नेतृत्व करने वाले सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक मधुसूदन अधिकारी ने बताया, "एक बार जीपीएस लगने के बाद इन खंभों की तलाश उस स्थिति में आसान हो जाएगी जब किसी प्राकृतिक आपदा में इन्हें नुकसान पहुंचेगा या कोई व्यक्ति इसका अतिक्रमण करेगा। "
जीपीएस पर दोनों देशों की सहमति की वजह खंभों के अपनी जगह से इधर-उधर होने के बाद सीमा के निर्धारण के मुद्दे पर उठने वाली चुनौती है। अभी इनके अभाव में यह तय करने में दिक्कतें पेश आती हैं कि पहले ये खंभे किस जगह पर थे।
अधिकारी ने कहा कि जीपीएस खंभों पर स्थाई रूप से लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सीमा के दोनों तरफ बनने वाली 83 नियंत्रण इकाइयां (कंट्रोल प्वाइंट) सीमा पर लगे खंभों के बारे में हर तरह की जानकारियां रखेंगी।
दोनों देशों के बीच सीमा पर पड़ने वाले नदियों-नालों में और घने जंगलों वाले सोमेश्वर में विशेष तरह के खंभे लगाने पर भी सहमति बनी है।
अधिकारी के अनुसार कुल 8553 खंभों में से 1325 गायब हैं और 1956 क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं। उन्होंने कहा, "हम गायब हो चुके खंभों की जगह पर नए खंभे लगाएंगे और जो बचे हुए हैं उन्हें सफेद रंग से रंगेंगे।"
बीडब्ल्यूजी बैठक में एडीडीजे स्तर की सर्वे अधिकारी समिति के लिए नए दिशा निर्देश भी तय किए गए। यह समिति जमीनी स्तर पर काम करती है। यह सीमा के दोनों तरफ (कालापानी और सुस्ता को छोड़कर ) निर्माण-मरम्मत-पुनस्र्थापनऔर 'नो मैन्स लैंड' की सफाई का काम देखती है।