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This Article is From May 15, 2013

भारत और चीन को मिलाने चाहिए हाथ : चीनी प्रधानमंत्री क्विंग

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अपनी भारत यात्रा से पूर्व चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग ने बुधवार को कहा कि एशिया को ‘विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन’ बनाने के लिए चीन और भारत को हाथ मिलाना चाहिए।
बीजिंग: अपनी भारत यात्रा से पूर्व चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग ने बुधवार को कहा कि एशिया को ‘विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन’ बनाने के लिए चीन और भारत को हाथ मिलाना चाहिए।

चीन की सत्तारुढ़ पार्टी के मुख्यालय झोंगनानहाई में 100 सदस्यीय भारतीय युवा प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए ली ने 27 साल पहले एक युवा प्रतिनिधिमंडल के नेता के रूप में अपनी भारत यात्रा के बारे में बड़ी गर्मजोशी के साथ बात की।

उन्होंने कहा कि उसी यात्रा की सुखद यादों ने उन्हें भारत को अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के लिए चुनने को प्रोत्साहित किया। ली 19 मई को नई दिल्ली पहुंचेंगे।

ली ने कहा, ‘‘दुनिया में बहुत से लोग यह विश्वास करते हैं कि 21वीं सदी में, एशिया-प्रशांत, विशेष रूप से एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा राजनीति में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा और यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण इंजन बनेगा।’’

लद्दाख के समीप सीमा पर दोनों देशों के बीच बने हालिया गतिरोध का कोई जिक्र करने से बचते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए दोनों देशों को एक दूसरे से हाथ मिलाना चाहिए ताकि हम विश्व में एशिया का सिर ऊंचा कर सकें और सही मायनों में एशियाई अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण इंजन बना सकें।’’

ली ने कहा, ‘‘इन दोनों देशों के विशाल बाजारों के बीच संपर्क से दोनों ओर के लोगों को बहुत फायदा होगा और इससे एशिया के साथ ही वैश्विक आर्थिक वृद्धि तथा समृद्धि को बड़ी मदद मिलेगी।’’
चीनी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि एशिया दुनिया की भावी उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करता है। मेरा मानना है कि ऐसा आप युवाओं के कारण है। उम्मीदों को सचाई में बदलने के लिए हमें दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान प्रदान की शुरुआत करनी चाहिए।’’

27 साल पहले की अपनी भारत यात्रा से जुड़ी यादों को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उस दौरे के दौरान जो मैंने देखा और महसूस किया . ... ताज महल देखा, प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों को देखा... भारतीय लोगों की गर्मजोशी और मेहमाननवाजी देखी.... उसने मुझ पर अमिट छाप छोड़ी।’’

ली ने कहा, ‘‘अगले कुछ दिनों में, मैं चीन के प्रधानमंत्री के नाते अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत जा रहा हूं। मैंने यह फैसला केवल इसलिए नहीं किया है कि भारत एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और दुनिया का सर्वाधिक घनी आबादी वाला देश है बल्कि इसलिए कि उसके साथ दोस्ती के बीज मेरी अपनी युवावस्था में बोए गए हैं।’’

ली ने कुछ प्रतिनिधियों से हाथ मिलाया और भाषण से पूर्व उनसे संक्षिप्त चर्चा की और दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आप चीन के पड़ोसी देश से हैं और यहां मैं चीन सरकार की ओर से आपको तथा आपके माध्यम से भारत के सभी युवाओं को शुभकामनाएं और सम्मान देना चाहूंगा।’’

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि भारत और चीन के युवाओं को एक दूसरे के साथ घुलते मिलते देखना बहुत सुखद है।

ली ने कहा, ‘‘चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं। हमने ऐसी महान सभ्यताओं का सृजन किया है जिन पर मानवता गर्व कर सकती है और हमारे दोनों देश सांस्कृतिक प्रवाह की ऐतिहासिक परंपरा पर गर्व करते हैं और अब सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे से सीखने की अधिक बेहतर परिस्थितियां हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत पड़ोसी देश हैं और हम स्वाभाविक साझेदार भी। हमारे दोनों देश सर्वमान्य और शांतिपूर्ण संबंधों तथा बहुध्रुवीय विश्व के हिमायती हैं। हमारे दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक वरदान हैं।’’

चीनी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं अपनी भारत यात्रा की शुरुआत करते हुए उम्मीद करता हूं कि आप इस यात्रा के दौरान दोस्ती के बीच बोएं और इस दोस्ती के नन्हें पौधे को सींचें ताकि यह एक विशाल वृक्ष का आकार बने और दोनों देशों के बीच मजबूत पुल का काम करे।’’ पाकिस्तान, जर्मनी और स्विट्जरलैंड रवाना होने से पूर्व ली अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली और मुंबई जाएंगे।

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