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बांग्लादेश से हिंदुओं को भगाने की सुनियोजित साजिश! जुल्म-हिंसा की ये रिपोर्ट रोंगटे खड़े कर देगी

बांग्लादेश में एक नया पैटर्न देखा जा रहा है कि जब भी किसी अल्पसंख्यक की हत्या होती है या हमला होता है, पुलिस-प्रशासन उसकी लीपापोती में जुट जाता है. यह सब सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है.

बांग्लादेश से हिंदुओं को भगाने की सुनियोजित साजिश! जुल्म-हिंसा की ये रिपोर्ट रोंगटे खड़े कर देगी
  • बांग्लादेश में अल्पसंख्यक खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में नया पैटर्न देखने को मिल रहा है
  • प्रशासन हिंसा की घटनाओं की लीपापोती में जुट जाता है, निजी झगड़े या दुर्घटना बताने की कोशिश करता है
  • पाकिस्तानी ISI की राह पर चल रही जमात का असल मकसद बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों को बाहर करना है
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बांग्लादेश में पिछले कुछ समय से एक नया और खतरनाक पैटर्न देखने को मिल रहा है. खुफिया एजेंसियों और हालिया रिपोर्ट्स का दावा है कि अल्पसंख्यक समुदायों खासकर हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों को पुलिस-प्रशासन जानबूझकर कमजोर करने का प्रयास करते हैं. गंभीर अपराधों को भी अक्सर निजी विवाद या दुर्घटना का रंग देकर रफा-दफा करने की कोशिश की जाती है. इसके पीछे सोची-समझी साजिश है. 

हिंसा को दबाने का नया पैटर्न

बांग्लादेश में जब से यूनुस की अंतरिम सरकार ने कमान संभाली है, देश में हिंसा, अराजकता और टारगेट करके हत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों और बांग्लादेशी मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि यह सब सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. जब भी किसी अल्पसंख्यक की हत्या होती है या हमला होता है, स्थानीय पुलिस और प्रशासन उसे सांप्रदायिक हिंसा के बजाय जमीन को लेकर झगड़े या आपसी रंजिश में हुई घटना बताने में जुट जाते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें हिंदुओं को आउटसाइडर या भारतीय एजेंट बताकर मामला भटकाने की कोशिश हुई. 

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ISI की राह पर चल रहा जमात

खुफिया सूत्रों का दावा है कि बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की राह पर चल रही है. उसका असल मकसद बांग्लादेशियों के मन में भारत विरोधी भावनाएं भरना और देश से अल्पसंख्यकों को निकालना है. अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए सोशल मीडिया की खुलकर मदद ली जाती है.   ईशनिंदा के झूठे आरोप फैलाकर भीड़ को उकसाया जाता है और अपने मंसूबे साधे जाते हैं. यह पैटर्न ठीक वैसा ही है, जैसा दशकों से पाकिस्तान में देखा जा रहा है.

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जुल्म के डरावने आंकड़े

  • 2025 में बांग्लादेश में हालात किस कदर बिगड़े हैं, यह ऐन ओ सलीश केंद्र (Ain o Salish Kendra - ASK) की रिपोर्ट से साफ है. 
  • साल 2024 में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता संभालने के बाद से कम से कम 293 लोगों की भीड़ की हिंसा में मौत हो चुकी है.
  • 2025 में हिंदुओं को टारगेट करके कम से कम 42 हमले हुए. 36 घरों में आगजनी, 4 मंदिरों पर हमले और जमीन हड़पने की 9 घटनाएं हुईं. 
  • जनवरी से दिसंबर 2025 के बीच देश में राजनीतिक हिंसा की 401 घटनाएं हुईं जिनमें 102 लोगों की जानें गईं.
  • 2025 में बांग्लादेश की जेलों में कम से कम 107 कैदियों की मौत हुई जिनमें सबसे ज्यादा 38 मौतें ढाका सेंट्रल जेल में हुईं.
  • एएसके की सूचना सुरक्षा इकाई के मुताबिक, 2025 में कम से कम 38 लोग न्यायेतर ((Extrajudicial) हत्याओं में मारे गए. 
  • मीडिया को भी नहीं बख्शा गया. 2025 में कम से कम 381 पत्रकारों को टॉर्चर, परेशानी झेलनी पड़ी. 23 पत्रकारों को एजेंसियों ने टारगेट किया और 20 को धमकियां मिलीं. 

चुनाव और अस्थिरता की साजिश

इन घटनाओं के पीछे एक बड़ा राजनीतिक उद्देश्य बताया जाता है. अधिकारियों का मानना है कि जमात और कट्टरपंथी लगातार हिंसा फैलाकर चुनावों को टलवाने की कोशिश में हैं. डर का माहौल बनाकर वोटरों को मतदान केंद्रों से दूर रखने की योजना है ताकि चुनावी नतीजे जमात के पक्ष में किए जा सकें. भारतीय एजेंसियों का मानना है कि चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएंगे, बांग्लादेश में हालात और बिगड़ सकते हैं. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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