मिस्र के पिरामिडों (Egyptian Pyramids) को दुनिया में अजूबे और रहस्य के तौर पर देखा जाता है, खासतौर पर इन पिरामिडों का निर्माण कैसे हुआ? यह गुत्थी हमेशा से ही शोधकर्ताओं का पसंदीदा विषय रही है. हाल ही में शोधकर्ताओं के एक दल को नील नदी की एक लंबे समय से दबी हुई 64 किलोमीटर लंबी शाखा मिली है. यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना विलमिंगटन (University of North Carolina Wilmington) के एक अध्ययन के अनुसार, यह सैंकड़ों वर्षों तक रेगिस्तान के नीचे छिपी हुई थी.
मैप बनाने के लिए रडार सैटेलाइट इमेजनरी का उपयोग
शोधकर्ताओं ने नदी की शाखा का मैप बनाने के लिए रडार सैटेलाइट इमेजनरी का उपयोग किया. यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना विलमिंगटन के पृथ्वी और महासागर विज्ञान के प्रोफेसर इमान घोनीम ने समाचार एजेंसी एएफपी को जानकारी दी कि रडार ने उन्हें "रेत की सतह को भेदने और दबी हुई नदियों और प्राचीन संरचनाओं सहित छिपी हुई विशेषताओं की इमेज बनाने की अद्वितीय क्षमता दी है."
निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए नदी का उपयोग!
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी बयान के मुताबिक, टीम ने यह भी पाया कि "कई पिरामिडों में सड़कें थीं जो अहरामत शाखा के प्रस्तावित नदी तटों पर समाप्त होती थीं. उनका कहना है कि यह इस बात का प्रमाण है कि नदी का उपयोग निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए किया गया था."
इस अध्ययन में इमान गोनिम ने कहा, “प्राचीन मिस्र में रुचि रखने वाले हममें से कई लोग जानते हैं कि मिस्रवासियों ने पिरामिडों और घाटी के मंदिरों की तरह अपने विशाल स्मारकों के निर्माण के लिए जलमार्ग का उपयोग किया होगा. हालांकि कोई भी इस विशाल जलमार्ग के स्थान, आकार, आकृति या वास्तविक पिरामिड स्थल से निकटता के बारे में निश्चित नहीं था. हमारा शोध इतने व्यापक पैमाने पर नील नदी की मुख्य प्राचीन शाखाओं में से एक का पहला नक्शा पेश करता है और इसे मिस्र के सबसे बड़े पिरामिड क्षेत्रों से जोड़ता है.
यह निष्कर्ष शोध पत्रिका कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुए हैं.
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