पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को कहा कि सैन्य अदालत में आतंकवादी मामलों की सुनवाई अधिकारों का हनन नहीं है। समाचार-पत्र 'डॉन' की वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से सोमवार को कहा कि आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई सैन्य अदालतों में करने के इसके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों से परामर्श के बाद 21वें संशोधन के जरिये इनकी स्थापना की गई थी। सरकार के पास इसके अतिरिक्त अन्य विकल्प नहीं थे।
सर्वोच्च न्यायालय में संशोधन को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं पर सुनवाई से एक दिन पहले सरकार ने 43 पृष्ठों के जवाब में कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत इन अदालतों का गठन किया गया।
सभी प्रांतीय सरकारों ने इस संशोधन का समर्थन किया और चुनौतियों के जवाब में संघ सरकार की ओर से जिन बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है, उनका अनुमोदन भी किया है।
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