
Harvard university VS Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन और प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच तकरार तेज हो गई है. पहले ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को इनरॉल (एडमिशन लेने का) करने का अधिकार छीन लिया. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने सरकार पर ही केस कर दिया. बड़ी खबर यह है कि मामले पर सुनावाई के बाद एक अमेरिकी जज ने शुक्रवार, 23 मई को ट्रंप प्रशासन को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की क्षमता को रद्द करने पर अस्थाई रोक लगा दी है.
हार्वर्ड की शिकायत और कोर्ट का फैसला
हार्वर्ड ने शुक्रवार को बोस्टन संघीय अदालत में अपनी शिकायत दर्ज की. इसमें हार्वर्ड ने ट्रंप प्रशासन को अमेरिकी संविधान और अन्य संघीय कानूनों का "घोर उल्लंघन" कहा. कहा कि इस फैसला का यूनिवर्सिटी और 7,000 से अधिक वीजा होल्डर्स पर "तत्काल और विनाशकारी प्रभाव" पड़ा.
डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त अमेरिकी जिला न्यायाधीश एलीसन बरोज ने ट्रंप प्रशासन की नीति पर रोक लगाते हुए अस्थायी निरोधक आदेश जारी किया.
हार्वर्ड पर ट्रंप का दबाव यूनिवर्सिटीज, लॉ फर्मों, न्यूज मीडिया, अदालतों और अन्य संस्थानों, जो पक्षपातपूर्ण राजनीति से स्वतंत्रता को महत्व देते हैं, उनको अपने एजेंडे के साथ जुड़ने के लिए मजबूर करने के रिपब्लिकन के व्यापक कैंपेन का हिस्सा है.
कैंपेन में उन विदेशी छात्रों को निर्वासित (डिपोर्ट) करने के प्रयास शामिल हैं, जिन्होंने फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था, लेकिन कोई अपराध नहीं किया था. उन कानूनी फर्मों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की गई थी, जो ट्रंप को चुनौती देने वाले वकीलों को नियुक्त करते हैं.
ट्रंप प्रशासन ने क्या आदेश दिया था?
ट्रंप प्रशासन ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को यह आदेश दिया है कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम यानी SEVP सर्टिफिकेशन को समाप्त कर दे. SEVP का सर्टिफिकेट संस्थानों को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को एडमिशन देने और उन्हें वीजा के लिए आवेदन करने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट जारी करने की अनुमति देता है.
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