Hajj Pilgrimage: कोई महामारीकिसी बड़े 'आयोजन' पर किस तरह प्रभावित करती है, , यह इन दोनों तस्वीरों को देखकर समझा जा सकता है. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के पहले दुनियाभर के लाखों तीर्थयात्री (Millions of Pilgrims) दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक, हज (Hajj)में भाग लेने के लिए इस्लाम के सबसे पवित्र (Islam's Holiest Site) स्थल पर पहुंचते थे. बहरहाल, इस बार कोरोना की वैश्विक महामारी ने स्थिति को बदल दिया है. कोरोना महामारी के चलते लोगों के बड़े पैमाने पर जमावड़े पर लगाए गए प्रतिबंध के चलते इस बार केवल कुछ हजार लोग हज के लिए पहुंचे हैं.
सामने आई तस्वीरों में सफेद कपड़े पहने श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का की मस्जिद में काबा की परिक्रमा करते देखा जा सकता है. ये श्रद्धालु अपने बीच में पर्याप्त अंतर बनाए हुए हैं. इससे एकदम अलग, पिछले वर्ष बड़ी तादाद में श्रद्धालु तीर्थस्थल के चारों ओर मौजूद थे. इस साल की हज की तस्वीरों में मास्क पहने तीर्थयात्रियों को एक खास दूरी का मेंटेन करते हुए चलते हुए दिखाया गया था, सऊदी अरब के तपनी गर्मी से से बचाने के लिए इन्होंने छाते थाम रखे थे.
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में दुनियाभर के लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं के मुकाबले इस बार करीब 10,000 से अधिक लोग इस साल की हज यात्रा में शिरकत कर रहे हैं. कोरोना से पहले हजयात्री काबा को छुआ करते थे और चूमा करते थे, लेकिन कोरोना काल में इस बार काबा को छूने व चूमने पर पाबंदी लगाई गई.84 वर्षीय राजा सलमान के राष्ट्रीय टीवी पर संबोधन को पढ़ते हुए कार्यवाहक मीडिया मंत्री माजिद अल-कासाबी ने कहा, "इस महामारी की छाया में धार्मिक प्रक्रियाओं और तीर्थयात्रियों की संख्या को कम करने की आवश्यकता है लेकिन विभिन्न आधिकारिक एजेंसियों को इसके लिए काफी प्रयास करने पड़े है." गौरतलब है कि बुधवार को शुरू हुआ हज, इस्लाम के पांच स्तंभों (Pillars of Islam )में से एक है और सक्षम मुस्लिमों को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार यह करना जरूरी बताया गया है.
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