Father of the Deaf यानी 'बधिरों का पिता' का आज 306वां जन्मदिन
नई दिल्ली:
Charles Michel De Lepees 306th Birthday - चार्ल्स मिशेल डे लेपे ने बधिरों (Deaf, जो सुन नहीं सकते) के लिए दुनिया का पहला स्कूल खोला. उन्होंने 1769 में फ्रांस में बधिरों के लिए इस पहले स्कूल की स्थापना की, जहां बधिर अपनी साइन लैंग्वेज को पढ़ और समझ सकते थे. इसी वजह से चार्ल्स मिशेल डे लेपे को "Father of the Deaf" यानी 'बधिरों का पिता' कहा जाता है. आज चार्ल्स मिशेल का 306वां जन्मदिन है, जिसे गूगल डूडल बनाकर (Charles-Michel De l'Epee's 306th Birthday Google Doodle) सेलिब्रेट कर रहा है.
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बधिरों के लिए काम करने की प्रेरणा उन्हें पेरिस के स्लम यानी झुग्गियों में रह रही दो बधिर बहनों से मिली, जो आपस में इशारों से एक-दूसरे से बात कर रही थीं. चार्ल्स मिशेल ने उनके इशारों को गौर से समझा और बाद में बधिरों की इसी इशारों की भाषा के लिए जागरुकता बढ़ाई.
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चार्ल्स मिशेल ने बधिरों के लिए ना सिर्फ स्कूल खोले, बल्कि टीचर-ट्रेनिंग प्रोग्राम की भी शुरुआत की. चार्ल्स के बनाए हुए बधिर स्कूल आज भी पेरिस के चार प्रमुख डेफ स्कूलों में शामिल है. पेरिस में इनके स्कूल में बधिरों को अब French Sign Language सिखाई जाती है.
चार्ल्स मिशेल का जन्म 24 नवंबर 1712 में एक अमीर परिवार में हुआ. उन्होंने लॉ की पढ़ाई की और बाद में लोगों की सेवा में अपना जीवन बिताया. 1789 में फ्रेंच रेवोल्यूशन (French Revolution) की शुरुआत में ही चार्ल्स की मृत्यु पेरिस के चर्च ऑफ सेंट रोच में हुई. उनकी मौत के दो साल बाद ही उन्हें बधिरों के लिए काम करने के सम्मान में "Declaration of the Rights of Man and of the Citizen" और "Benefactor of Humanity" खिताब से नवाजा गया.
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बधिरों के लिए काम करने की प्रेरणा उन्हें पेरिस के स्लम यानी झुग्गियों में रह रही दो बधिर बहनों से मिली, जो आपस में इशारों से एक-दूसरे से बात कर रही थीं. चार्ल्स मिशेल ने उनके इशारों को गौर से समझा और बाद में बधिरों की इसी इशारों की भाषा के लिए जागरुकता बढ़ाई.
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चार्ल्स मिशेल ने बधिरों के लिए ना सिर्फ स्कूल खोले, बल्कि टीचर-ट्रेनिंग प्रोग्राम की भी शुरुआत की. चार्ल्स के बनाए हुए बधिर स्कूल आज भी पेरिस के चार प्रमुख डेफ स्कूलों में शामिल है. पेरिस में इनके स्कूल में बधिरों को अब French Sign Language सिखाई जाती है.
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