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This Article is From Apr 03, 2011

फुकुशिमा संयंत्र में दो कर्मचारियों के शव मिले

टोक्यो: विनाशकारी भूकम्प और भयावह सुनामी में क्षतिग्रस्त हुए जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से दो कर्मचारियों के शव मिले हैं। जबकि रेडियोधर्मी पदार्थो युक्त पानी को समुद्र में मिलने से रोकने के प्रयास जारी हैं और अब कर्मचारी संयंत्र में आई दरार को पाटने के लिए पॉलीमर का इस्तेमाल करने की कोशिश करना चाहते हैं। एक वेबसाइट के मुताबिक टेप्को ने कहा कि संयंत्र के दो लापता कर्मचारियों के शव रिएक्टर संख्या चार की टर्बाइन इमारत के भूतल में पाए गए हैं। इन कर्मचारियों के नाम काजूहिको कोकूबो और योशिहिकी तेराशिमा हैं। जापानी समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार इनकी मौत सिर के घावों से रक्त बहने की वजह से हुई। ये दोनों शव गत बुधवार को मिले थे। दूसरी ओर, जापान सरकार और फुकुशिमा के क्षतिग्रस्त परमाणु संयंत्र की संचालक कम्पनी ने संयंत्र के 20 किलोमीटर के दायरे की हवा में रेडियोधर्मी पदार्थों के स्तर का आकलन करना प्रारम्भ कर दिया है। प्रधानमंत्री के सलाहकार ने कहा है कि संयंत्र से रेडियोधर्मी पदार्थों का रिसाव रोकने के लिए सभी संभव उपाय किए जाएंगे और अगले कुछ महीनों में रिसाव पूरी तरह रोक लिया जाएगा। जापान की समाचार एजेंसी 'एनएचके' के मुताबिक जापान सरकार और संयंत्र संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कम्पनी (टेप्को) संयंत्र के आस-पास के 20 किलोमीटर के दायरे में पहले से ही हवा में फैले रेडियोधर्मी पदार्थों की मात्रा माप रही हैं लेकिन इस सम्बंध में अभी तक कोई विस्तृत आकलन नहीं किया गया है। इस इलाके में रहने वाले सभी लोगों को हटाया जा चुका है। जापान और अमेरिकी के परमाणु विशेषज्ञों की एक बैठक में अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा कि वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों के फैलने का स्तर जानने के लिए और ज्यादा परीक्षणों की आवश्यकता है। इस बैठक के बाद जापान सरकार और टेप्को ने खाली कराए जा चुके इलाके के 30 स्थानों पर हवा में रेडियाधर्मी पदार्थों का स्तर जानने के लिए विस्तृत अध्ययन शुरू कर दिया। अब तक मिले परिणामों के मुताबिक हवा में प्रति घंटा एक माइक्रोसीवर्ट से कम से लेकर 50 माइक्रोसीवर्ट तक का रेडियोधर्मी विकिरण पाया गया है। जापान में 11 मार्च को आए रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता के भूकम्प और सुनामी लहरों से मरने वाले लोगों की सख्या 12,000 से ज्यादा हो गई है और 15,500 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। वहीं जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान के सलाहकार घोषी होसोनो ने रविवार को पत्रकारों से कहा कि क्षतिग्रस्त संयंत्र से रेडियोधर्मी पदार्थो से युक्त पानी का समुद्र के पानी में रिसाव बेहद गम्भीर बात है और सरकार इसे रोकने के लिए सभी संभव उपाए करेगी। होसोनो ने कहा कि इस रिसाव के असर की जांच करना जरूरी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस जांच के परिणाम जल्दी ही सार्वजनिक किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रिएक्टर संख्या दो के निचले तल पर जमा पानी को जल्द से जल्द हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों की सबसे बड़ी चिंता संयंत्र से हो रहे रेडियोधर्मी पदार्थों के रिसाव को रोकने की है। उन्होंने कहा संयंत्र में संकट अभी भी जारी है लेकिन हालात अब स्थिर हैं। दूसरी ओर जी-7 संगठन में शामिल विकसित देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर अगले सप्ताह जापान त्रासदी से हुए नुकसान से इस देश को उबारने के उपायों पर चर्चा करेंगे। यह बैठक 14 अप्रैल को वाशिंगटन में होगी। जापान में भूकम्प की त्रासदी होने के बाद से जी-7 की यह पहली बैठक होगी। इससे पहले 18 मार्च को विकसित देशों के वित्त मंत्रियों ने जापान की मदद हेतु इसकी मुद्रा येन में मजबूती रोकने के लिए मौद्रिक हस्तक्षेप करने का फैसला किया था। जापान त्रासदी से विश्वभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। अमेरिका और अन्य देशों में कई संयंत्रों में उत्पादन स्थगित करना पड़ा है क्योंकि जापान से उपकरणों की आपूर्ति बंद हो गई है।

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फुकुशिमा, परमाणु संयंत्र, दो कर्मचारी, मरे