प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
'हरित ऑस्कर' के नाम से प्रचलित प्रतिष्ठित एशडेन इंटरनेशनल अवार्ड के लिए तैयार की गई अंतिम सूची में भारत के चार संगठन शामिल हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा मुहैया कराने के क्षेत्र में काम करते हैं।
इस सूची में जिन चार संगठनों को शामिल किया गया है, उनमें गुजरात की एक कंपनी शामिल है, जो सुन्दर डिजाइन वाले ऊर्जा दक्ष भवन बनाती है। दूसरी कंपनी राजस्थान की है जो सुदूर गांवों को स्वच्छ ऊर्जा मुहैया कराती है। तीसरा संगठन मुंबई का है, जो सौर ऊर्जा से चलने वाले नमक पंप के जरिये महिलाओं की आय बढ़ाने में मदद करता है। चौथा संगठन अभी तक देश के 40 लाख घरों को रौशन कर चुका है।
पुरस्कार की संस्थापक निदेशक सारा बटलर-स्लोस ने कहा, 'इस वर्ष की सूची हमारी अभी तक कि सबसे अच्छी सूची है। यहां तक पहुंचने वाली कंपनियां और लोग कम कार्बन वाले भविष्य के नेता हैं।' पुरस्कार की घोषणा नौ जून को होनी है।
अहमदाबाद की कंपनी 'अभिक्र' भवन निर्माण के पारंपरिक तरीकों का प्रयोग कर ऊर्जा दक्ष और सुंदर भवनों का निर्माण करती हैं। संगठन की पारुल झावेरी का कहना है कि सूची में जगह पाकर पूरा संगठन खुश है।
वहीं दूसरी कंपनी जयपुर की फ्रंटियर मार्केट्स है, जो अपनी सोलर सहेलियों (प्रशिक्षित महिला कर्मचारी) के जरिेये सुदूर गांवों में सोलर लैंप और अन्य उपकरण बेचते तथा उसकी सर्विस सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इन्होंने राजस्थान और आंध्र प्रदेश में अभी तक 1,00,000 से ज्यादा स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद बेचे हैं। संगठन की अजाइता शाह का कहना है कि नामित होकर वह बहुत उत्साहित हैं और गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
इस सूची में शामिल तीसरी परियोजना है, ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क। यह नमक बनाने के पैन में बड़ी मात्रा में नमकीन पानी को डालने के लिए डीजल पंपों के इस्तेमाल के क्षेत्र में काम करती है। इस प्रक्रिया में पंप के लिए लगने वाला इंधन ही उनके 70 प्रतिशत लाभ का उपभोग कर लेता है। इसी से बचने के लिए और लाभ को बढ़ाने हेतु नेटवर्क ने सौर ऊर्जा से संचालित पंपों का प्रयोग शुरू किया है। नेटवर्क से जुड़ी रीमा नानावती का कहना है, नमक बनाने वाले पैन पर काम करने वाले मजदूर गरीबों से भी गरीब हैं।
चौथी संस्था है मुंबई की ग्रीनलाइट प्लानेट। इसका लक्ष्य जो भी सक्षम हैं, उन्हें विश्वसनीय सौर ऊर्जा चालित रौशनी मुहैया कराना है। संस्थान ने अभी तक 40 लाख से ज्यादा घरों को रोशन किया है और आगे उसके प्रयास जारी है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इस सूची में जिन चार संगठनों को शामिल किया गया है, उनमें गुजरात की एक कंपनी शामिल है, जो सुन्दर डिजाइन वाले ऊर्जा दक्ष भवन बनाती है। दूसरी कंपनी राजस्थान की है जो सुदूर गांवों को स्वच्छ ऊर्जा मुहैया कराती है। तीसरा संगठन मुंबई का है, जो सौर ऊर्जा से चलने वाले नमक पंप के जरिये महिलाओं की आय बढ़ाने में मदद करता है। चौथा संगठन अभी तक देश के 40 लाख घरों को रौशन कर चुका है।
पुरस्कार की संस्थापक निदेशक सारा बटलर-स्लोस ने कहा, 'इस वर्ष की सूची हमारी अभी तक कि सबसे अच्छी सूची है। यहां तक पहुंचने वाली कंपनियां और लोग कम कार्बन वाले भविष्य के नेता हैं।' पुरस्कार की घोषणा नौ जून को होनी है।
अहमदाबाद की कंपनी 'अभिक्र' भवन निर्माण के पारंपरिक तरीकों का प्रयोग कर ऊर्जा दक्ष और सुंदर भवनों का निर्माण करती हैं। संगठन की पारुल झावेरी का कहना है कि सूची में जगह पाकर पूरा संगठन खुश है।
वहीं दूसरी कंपनी जयपुर की फ्रंटियर मार्केट्स है, जो अपनी सोलर सहेलियों (प्रशिक्षित महिला कर्मचारी) के जरिेये सुदूर गांवों में सोलर लैंप और अन्य उपकरण बेचते तथा उसकी सर्विस सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इन्होंने राजस्थान और आंध्र प्रदेश में अभी तक 1,00,000 से ज्यादा स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद बेचे हैं। संगठन की अजाइता शाह का कहना है कि नामित होकर वह बहुत उत्साहित हैं और गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
इस सूची में शामिल तीसरी परियोजना है, ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क। यह नमक बनाने के पैन में बड़ी मात्रा में नमकीन पानी को डालने के लिए डीजल पंपों के इस्तेमाल के क्षेत्र में काम करती है। इस प्रक्रिया में पंप के लिए लगने वाला इंधन ही उनके 70 प्रतिशत लाभ का उपभोग कर लेता है। इसी से बचने के लिए और लाभ को बढ़ाने हेतु नेटवर्क ने सौर ऊर्जा से संचालित पंपों का प्रयोग शुरू किया है। नेटवर्क से जुड़ी रीमा नानावती का कहना है, नमक बनाने वाले पैन पर काम करने वाले मजदूर गरीबों से भी गरीब हैं।
चौथी संस्था है मुंबई की ग्रीनलाइट प्लानेट। इसका लक्ष्य जो भी सक्षम हैं, उन्हें विश्वसनीय सौर ऊर्जा चालित रौशनी मुहैया कराना है। संस्थान ने अभी तक 40 लाख से ज्यादा घरों को रोशन किया है और आगे उसके प्रयास जारी है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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