विज्ञापन
This Article is From Mar 26, 2018

खत्म नहीं हो रहीं फेसबुक की मुश्किलें, अब एंड्रॉयड से फोन नंबर-मैसेज हासिल करने का आरोप

फेसबुक के लिए मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट अब एंड्रॉएड उपकरणों से फोन नंबर तथा टेक्स्ट मैसेज हासिल करने को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है.

खत्म नहीं हो रहीं फेसबुक की मुश्किलें, अब एंड्रॉयड से फोन नंबर-मैसेज हासिल करने का आरोप
फेसबुक पर अब एंड्रॉयड से फोन नंबर-मैसेज हासिल करने का आरोप.
नई दिल्ली: फेसबुक के लिए मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं, अमेरिकी और ब्रिटेन के समाचार पत्रों में कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल पर माफी मांगने के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट अब एंड्रॉएड उपकरणों से फोन नंबर तथा टेक्स्ट मैसेज हासिल करने को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है.  वेबसाइट‘ आरस टेक्निक’ की खबर के अनुसार फेसबुक द्वारा एकत्रित किया गया डेटा देखने पर यूजर्स ने पाया कि उसमें उनके वर्षों पुराने कॉन्टेक्ट, टेलीफोन नंबर, कॉल की अवधि और टेक्स्ट मैसेट हैं.

Facebook की मुश्किलें बढ़ीं, कारोबार पर दिखने लगा असर, शेयर में भी गिरावट

फेसबुक ने कहा कि जानकारी सर्वर को सुरक्षित करने के लिए अपलोड की गई और यह केवल उन्हीं यूजर्स की है, जिसकी उन्होंने अनुमति दी है.  प्रवक्ता ने बताया किइस डेटा को यूजर्स के मित्रों को अथवा किसी बाहरी को नतो बेचा गया न ही किसी के साथ साझा किया गया.

डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व मुख्य सलाहकार ने लगाए फेसबुक पर सनसनीखेज आरोप, जानिए क्या कहा

कंपनी ने कहा कि उसने टेक्सट मैसेज या कॉल से जुड़ी सामग्री एकत्रित नहीं की. प्रवक्ता ने कहा कि फेसबुक मैसेंजर में कॉन्टेक्ट्स की रैंकिंग के लिए (ताकि उसे ढूंढना आसान हो जाए) और कॉल करने का सुझाव देने के लिए इन जानकारियों का इस्तेमाल किया गया.

फेसबुक डाटा लीक मामला: कैंब्रिज एनालिटिका को भारत सरकार का नोटिस, 31 मार्च तक 6 सवालों के मांगे जवाब
 
facebook apology

फेसबुक ने ब्रिटेन, अमेरिका के अखबारों में माफीनामा दिया
फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने डेटा चोरी के गंभीर आरोपों को लेकर ब्रिटेन और अमेरिका के नौ प्रमुख अखबारों में पूरे पेज का माफीनामा दिया है. उन्होंने बताया, ‘‘ आपकी जानकारियों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है. अगर हम नहीं कर पाते हैं तो हम इसके हकदार नहीं है.’’ ब्रिटेन के बड़े अखबारों‘ मेल ऑन संडे’, ‘ द संडे टाइम्स’ और‘ द ऑब्जर्वर’ के साथ- साथ‘ न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘ वाशिंगटन टाइम्स’ और‘ वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में इन विज्ञापनों का प्रकाशन किया गया है.

जुकरबर्ग ने कहा है कि एक शोधार्थी ने एक क्विज विकसित किया था‘ जिससे 2014 में करोड़ों लोगों के डेटा में सेंध लगी.’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह विश्वास तोड़ने वाला था और हमें इस बात का खेद है कि हमने तब बहुत कुछ नहीं किया. भविष्य में ऐसा ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए अब हम कदम उठा रहे हैं.’’ 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com