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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में क्यों हो रहे हैं हिंसक प्रदर्शन, शहबाज शरीफ का सबसे बड़ा डर क्या है

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पिछले पांच दिन से हालात नियंत्रण से बाहर हैं. वहां के हिंसक प्रदर्शन में अबतक करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों के करीब 25 जवानों को बंधक बना लिया है. पढ़ें क्या है इसका कारण.

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में क्यों हो रहे हैं हिंसक प्रदर्शन, शहबाज शरीफ का सबसे बड़ा डर क्या है
नई दिल्ली:

पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) में आजकल जंग का मैदान बना हुआ है. जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेकेजेएएसी) की ओर से बुलाई गई हड़ताल का आज (03 अक्टूबर) पांचवा दिन है. पीओके में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों में करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में तीन पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. ऐसी खबरें भी हैं कि आंदोलनकारियों ने 25 सैनिकों को बंधक बना लिया है. दो साल पहले शुरू हुआ आंदोलन सब्सिडी वाले आटे की नियमित आपूर्ति और बिजली की मांग को लेकर खड़ा हुआ था. अब करीब दो साल बाद इसमें मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य को मिलाकर 38 मांगें हो गई हैं. वहीं विधानसभा में आरक्षित सीटों को खत्म करने का मामला पहली बार शामिल हुआ है. जेकेजेएएसी ने 29 सितंबर को आम हड़ताल की अपील की थी. हड़ताल के पहले दिन ही हिंसा हो गई. पीओके के हालात इतने खराब हैं कि प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने इस्लामाबाद के कश्मीर हाउस में शरण ली है.  

सरकार और प्रदर्शनकारियों में बातचीत

पीओके में हालात को सुधारने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार एक आठ सदस्यों वाली समिति को मुजफ्फराबाद भेजा है. इस समिति ने आज मुजफ्फराबाद में मुजफ्फराबाद की जेकेजेएएसी कमेटी से बातचीत शुरू की. इस बातचीत में पूंछ और मीरपुर की कमेटी के सदस्य शामिल नहीं हुए.

पिछले पांच दिन से जारी आंदोलन में अब तक 10 लोग मारे गए हैं. बाघ जिले के धीरकोट में चार, मुजफ्फराबाद में दो और मीरपुर में दो लोगों की मौत हुई है. आंदोलनकारियों ने सुरक्षाबलों के जिन 25 जवानों को बंधक बनाया है, उनका इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में किया जा रहा है. इस वजह से सुरक्षा बल सीधी कार्रवाई से परहेज कर रहे हैं. बंदी बनाए गए सुरक्षा कर्मियों की वर्दियों को आंदोलनकारियों ने सड़क पर टांग दिया है. इन जवानों के साथ मारपीट के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं. 

कौन कर रहा है प्रदर्शन का नेतृत्व

पीओके में प्रदर्शन जेकेजेएएसी की अपील पर हो रहे हैं. इस कमेटी का गठन 2023 में सरकार की ओर से लगाए गए प्रापर्टी टैक्स के खिलाफ किया गया था. इसकी अध्यक्षता शौकत नवाज के पास है. उनकी लोकप्रियता इतनी है कि उनकी एक अपील पर हजारों की संख्या में लोग सड़क पर आ जाते हैं. इससे पहले उन्होंने मई 2024 में गेहूं पर अनुदान को लेकर किया था. इस बार प्रदर्शनकारी पीओके की सरकार पर मौलिक अधिकारों की अनदेखी और महंगाई पर काबू पाने में नाकाम रहने का आरोप लगा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के समक्ष 38 मांगें रखी हैं. इन मांगों में पीओके की विधानसभा में पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 रिजर्व सीटें को खत्म करना और आटे-बिजली के बिलों पर छूट शामिल है. 

आरक्षित सीटों को खत्म करने की मांग क्यों हो रही है

जेकेजेएएसी पीओक की जिन 12 आरक्षित सीटों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. ये सीटें भारतीय जम्मू-कश्मीर से आए शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं. ये लोग 1947, 1965, 1971 के युद्ध या उसके बाद पीओके पहुंचे हैं. इस आरक्षण की वजह से स्थानीय आबादी का प्रतिनिधित्व कम हो जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी समस्याओं और जरूरतों को विधानसभा में उठाने के लिए और विधायक चाहिए. उनका यह भी कहना है कि रिजर्व सीटों का फायदा केवल कुछ ही परिवारों को मिल रहा है. ये सीटें 2019 में आए हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद आरक्षित की गई हैं.

पीओके में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाता एक पुलिसकर्मी.

पीओके में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाता एक पुलिसकर्मी.

शहबाज सरकार का सबसे बड़ा डर क्या है

पाकिस्तान की सरकार इस प्रदर्शन से बहुत अधिक डरी हुई है. आंदोलन से निपटने के लिए इलाके में पत्रकारों के जाने पर पाबंदी लगा दी है. इसके साथ ही पोओके में इंटरनेट सेवाएं ठप कर गई है. इस प्रदर्शन को देखते हुए सरकार को डर इस बात का डर सता रहा है कि प्रदर्शनकारी कहीं आजादी की मांग न मांगने लगें. 

साल 2017 में हुई जनगणना के मुताबिक पीओके की आबादी करीब 40 लाख है. वहां चल रहे आंदोलन की जड़े मई 2023 में हैं, जब वहां के लोग आसमान छूती बिजली की कीमतों के विरोध में सड़क पर उतर आए थे. इस दौरान आटे की तस्करी और सब्सिडी वाले गेहूं की आपूर्ति में भारी कमी आने की खबरें भी आई थीं. अगस्त 2023 आते-आते इन प्रदर्शनों ने संगठित रूप लेना शुरू कर दिया. उस साल सितंबर में कार्यकर्ता मुजफ्फराबाद में जमा हुए और सभी जिलों के प्रतिनिधियों ने मिलकर जेकेजेएएसी का गठन किया. 

पीओके के लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं.

पीओके के लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं.

इस आंदोलन ने मई 2024 में उग्र हो गया. दरअसल पीओके के लोगों ने मुजफ्फराबाद की ओर कूच किया. इसके बाद उनकी सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़पें हुईं. इनमें एक पुलिस अधिकारी समेत करीब पांच लोगों की मौत हो गई.यह प्रदर्शन तब स्थगित हुआ, जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आटे और बिजली दरों में कटौती लाने जैसी मांगें मान लीं. पाकिस्तान की सरकार ने इसके लिए 23 अरब रुपये की सब्सिडी दी. लेकिन यह शांति बुहत टिक नहीं पाई. इस साल अगस्त में, जेकेएएसी ने फिर से आंदोलन की घोषणा कर दी. 

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