ओस्लो:
संकटों में घिरे यूरोपीय संघ को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। भले ही यह संस्थान आज संकटों के दौर से गुजर रहा हो, लेकिन उसे इस बात का श्रेय दिया गया है कि उसने द्वितीय विश्वयुद्ध की त्रासदी झेलने के बाद आधी शताब्दी से अधिक समय से शांति को कायम रखा।
नोबेल समिति के अध्यक्ष थोरजोएरन जगलैंड ने ओस्लो में कहा, संघ और उसके पूर्ववर्तियों ने छह दशक से अधिक समय तक यूरोप में शांति को आगे बढ़ाने, मेल-मिलाप, लोकतंत्र और मानवाधिकार में योगदान दिया।
उन्होंने इस साल के पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 70 साल से अधिक की अवधि में जर्मनी एवं फ्रांस ने तीन युद्ध लड़े। आज जर्मनी एवं फ्रांस के बीच युद्ध की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह दर्शाता है कि अच्छे लक्ष्यों वाले प्रयासों और आपसी विश्वास कायम करके ऐतिहासिक शत्रु नजदीकी भागीदार बन सकते हैं।
बहरहाल, यह पुरस्कार ऐसे समय में एक आश्चर्य की तरह है, जब यूरोपीय एकजुटता पिछले कई दशकों में सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। ऋण संकट से घिरे दक्षिण और जर्मनी के नेतृत्व में संपन्न उत्तर के बीच गहरी दरार खिंची है तथा संपन्न राष्ट्र अनिच्छा से ही बचाव में उतरे हैं। यूरोपीय परियोजना को दी जा रही सहायता जारी रह पाती है या नहीं, यह बात देखने वाली होगी। लेकिन गहरे संकट ने विभिन्न सदस्य राष्ट्रों के नागरिकों के बीच की खाई को बढ़ा दिया है।
ब्रूसेल्स को काफी समय से नौकरशाह और पहुंच से दूर माना जाता रहा है। यूरोपीय संघ को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने युद्ध से जर्जर हुए महाद्वीप में कट्टर शत्रु जर्मनी और फ्रांस को साथ में लाकर शांति और स्थिरता को कायम किया। साथ ही वह सब देशों को लेकर एक ही मार्ग पर आगे बढ़ने में कामयाब हुआ। बार-बार आने वाली कठिनाइयों के बावजूद यूरोपीय संघ दुनिया का विशालतम साझा बाजार बन गया है, जिसमें वस्तुओं, लोगों, सेवाओं और पूंजी के मुक्त आवागमन को अनुमति हासिल है।
नोबेल समिति के अध्यक्ष थोरजोएरन जगलैंड ने ओस्लो में कहा, संघ और उसके पूर्ववर्तियों ने छह दशक से अधिक समय तक यूरोप में शांति को आगे बढ़ाने, मेल-मिलाप, लोकतंत्र और मानवाधिकार में योगदान दिया।
उन्होंने इस साल के पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 70 साल से अधिक की अवधि में जर्मनी एवं फ्रांस ने तीन युद्ध लड़े। आज जर्मनी एवं फ्रांस के बीच युद्ध की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह दर्शाता है कि अच्छे लक्ष्यों वाले प्रयासों और आपसी विश्वास कायम करके ऐतिहासिक शत्रु नजदीकी भागीदार बन सकते हैं।
बहरहाल, यह पुरस्कार ऐसे समय में एक आश्चर्य की तरह है, जब यूरोपीय एकजुटता पिछले कई दशकों में सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। ऋण संकट से घिरे दक्षिण और जर्मनी के नेतृत्व में संपन्न उत्तर के बीच गहरी दरार खिंची है तथा संपन्न राष्ट्र अनिच्छा से ही बचाव में उतरे हैं। यूरोपीय परियोजना को दी जा रही सहायता जारी रह पाती है या नहीं, यह बात देखने वाली होगी। लेकिन गहरे संकट ने विभिन्न सदस्य राष्ट्रों के नागरिकों के बीच की खाई को बढ़ा दिया है।
ब्रूसेल्स को काफी समय से नौकरशाह और पहुंच से दूर माना जाता रहा है। यूरोपीय संघ को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने युद्ध से जर्जर हुए महाद्वीप में कट्टर शत्रु जर्मनी और फ्रांस को साथ में लाकर शांति और स्थिरता को कायम किया। साथ ही वह सब देशों को लेकर एक ही मार्ग पर आगे बढ़ने में कामयाब हुआ। बार-बार आने वाली कठिनाइयों के बावजूद यूरोपीय संघ दुनिया का विशालतम साझा बाजार बन गया है, जिसमें वस्तुओं, लोगों, सेवाओं और पूंजी के मुक्त आवागमन को अनुमति हासिल है।
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