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"चीन पर बढ़ेगी टैरिफ की मार? जेलेंस्की अब बंद करो वॉर", डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के क्या हैं मायने, समझें

डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी से अमेरिका में एक बार फिर अधिक टैरिफ लगाने के दौर की वापसी हो सकती है. साथ ही ट्रंप सरकार एक बार फिर ईरान जैसे देशों को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर की सत्ता में वापसी

नई दिल्ली:

अमेरिकी चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. अमेरिका की जनता ने कमला हैरिस की तुलना में इस बार डोनाल्ड ट्रंप पर ज्यादा विश्वास जताया है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अब पूरी दुनिया डोनाल्ड ट्रंप की तरफ देख रही है. जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप का आगामी कार्यकाल उनके पिछले कार्यकाल से काफी हद तक अलग होगा. आइये आज हम आपको बताते हैं कि ट्रंप अपने इस कार्यकाल में कौन से बड़े फैसले ले सकते हैं और इसका दुनिया के अन्य देशों पर क्या असर पड़ेगा. 

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टैरिफ बढ़ाने से बिगड़ सकती है दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था 

अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का अगर सबसे ज्यादा सदमा किसी देश को लगा होगा तो वो देश है चीन है. चीन के साथ ट्रंप के संबंध काफी पहले से ही ठीक नहीं रहे हैं. ट्रंप सत्ता में वापसी के साथ ही चीन से आने वाले सामानों पर टैरिफ को 60 फीसदी कर सकते हैं जबकि चीन से आने वाली कारों पर 100 फीसदी की ड्यूटी भी लगा सकते हैं. ऐसा हुआ तो इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी निश्चित तौर पर पड़ेगा. ट्रंप सरकार मानती है कि चीन के अलावा जो भी देश अमेरिका में अपने सामान को बेचते हैं उन सभी के टैरिफ में भी 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जानी चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो विश्व के कई देशों की अर्थव्यस्था पर इसका असर दिख सकता है.डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार ने अगर अपनी कही बातों में कुछ भी अमल कर लिया तो इसका असर मल्टीलेटरल ट्रेड पर भी निश्चित तौर पर दिखेगा.

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चीन की और टेंशन बढ़ा सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप 

डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी का सबसे ज्यादा असर चीन और उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. अगर ट्रंप सरकार ने टैरिफ से लेकर अन्य बड़े फैसले आते ही लिए तो इसका चीन की सरकार पर भी असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीन बीते कुछ समय से गंभीर मंदी और बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में अगर टैरिफ बढ़ाने से लेकर कुछ और अन्य सख्त फैसले लिए गए तो इसका सीधा असर चीन पर पड़ेगा. और उसकी स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर जरूर होगी. 

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यूक्रेन पर युद्ध खत्म करने का बढ़ सकता है दवाब 

डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी का असर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी जरूर पड़ेगा. ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद दिए अपने संबोधन में ही ये साफ कर दिया है कि यूक्रेन को अब आगे से मुफ्त में कोई हथियार नहीं मिलेंगे. साथ ही साथ उन्होंने रूस से युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन पर दवाब बनाने की भी बात कही है. ऐसे में यूक्रेन के लिए आगे भी रूस के साथ युद्ध में बने रहना पहले की तरह आसान नहीं होने वाला है. 

इजरायल और बनेगा ताकतवर?

अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर कई हजार किलोमीटर दूर इजरायल और हमास युद्ध पर भी पड़ेगा. ट्रंप की सत्ता में वापसी से इजरायल के पीएम नेतन्याहू गदगद हैं. उन्हें पता है कि ट्रंप पहले भी इजरायल का ही साथ दिया था. अगर बात बाइडेन प्रशासन की करें तो उनके कार्यकाल में इजरायल और अमेरिका के रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहे थे. 

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ईरान की टेंशन बढ़ाएंगे ट्रंप 

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से चीन के साथ-साथ ईरान की भी टेंशन बढ़ती दिख रही है. माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन सत्ता में वापसी के बाद ईरान पर एक बार फिर कई तरह के प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है.अगर ऐसा हुआ तो ईरान इजरायल से जारी संघर्ष में कमजोर पड़ेगा और इजरायल एक बार फिर ईरान और उसके प्रॉक्सी पर भारी पड़ सकता है. ट्रंप प्रशासन अगर ऐसा कोई  एक्शन ईरान के खिलाफ लेती है तो इसका असर ईरान की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.

जलवायु परिवर्तन पर भी ट्रंप प्रशासन पर रहेगी नजर 

जानकार मानते हैं कि ट्रंप की सत्ता में वापसी का वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटके की तरफ है.कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रति उनकी उपेक्षा और जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा. कहा जा रहा है कि कार्बन इमिशन को लेकर किसी भी मल्टीलेटरल डील नहीं करने वाले हैं. 

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मानवाधिकार को लेकर भी ट्रंप सरकार ने साफ किया अपना रुख 

सत्ता में वापसी के साथ ही ट्रंप सरकार ने मानवाधिकार को लेकर भी अपना रुख साफ कर दिया है. ट्रंप काफी समय से ही मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर अपनी बात रखते रहे हैं. उन्होंने कई बार ऑन रिकॉर्ड कहा है कि अमेरिका कभी अपने वैल्यू से अलग नहीं हो रहा है. ये कुछ देशों के लिए अच्छी बात है तो कुछ के लिए ये एक दिक्कत की तरह है.  

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