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This Article is From Aug 13, 2022

सलमान रुश्दी का इलाज करने वाली डॉक्टर ने कहा, उनके शरीर पर चाकू के कई निशान

विख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयार्क में एक कार्यक्रम के दौरान हुआ प्राणघातक हमला

सलमान रुश्दी का इलाज करने वाली डॉक्टर ने कहा, उनके शरीर पर चाकू के कई निशान
हमले के बाद सलमान रुश्दी नीचे गिर पड़े थे और एक डॉक्टर ने उनको फर्स्ट एड दिया था.
न्यूयार्क:

अंग्रेजी भाषा के विख्यात लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर न्यूयार्क में हुए हमले के बाद उनका इलाज करने वाली डॉक्टर ने कहा कि रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे. इनमें से एक निशान उनकी गर्दन के दाहिनी ओर था और वह खून से लथपथ पड़े हुए थे. अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रुश्दी जिस कार्यक्रम को संबोधित करने वाले थे वहां मौजूद एंडोक्रिनोलॉजिस्ट रीटा लैंडमैन ने मंच पर जाकर रुश्दी का प्राथमिक उपचार किया.

रीटा ने कहा कि रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे जिनमें से एक उनकी गर्दन के दाहिनी ओर था और वह खून से लथपथ पड़े हुए थे. लेकिन वह जीवित प्रतीत हो रहे थे और सीपीआर नहीं ले रहे थे.

डॉक्टर रीटा ने कहा, ‘‘वहां मौजूद लोग कह रहे थे कि उनकी धड़कन चल रही है.''

मुंबई में पैदा हुए और बुकर पुरस्कार से सम्मानित 75 वर्षीय सलमान रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपना भाषण शुरू करने वाले ही थे कि तभी एक व्यक्ति मंच पर चढ़ा और उनको घूंसे मारे और फिर उन पर चाकू से हमला कर दिया. रुश्दी की गर्दन पर चोट आई है. उस समय कार्यक्रम में उनका परिचय दिया जा रहा था.

हमले के बाद सलमान रुश्दी मंच पर गिर गए. उनके हाथों में खून लगा हुआ देखा गया. वहां मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया और बाद में उसे हिरासत में ले लिया गया. रुश्दी को मंच पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया.

रुश्दी पर हुए हमले के बाद अमेरिका के न्यूयॉर्क प्रांत की गवर्नर कैथी होचुल ने कहा है कि रुश्दी जीवित हैं और उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है. अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

गौरतलब है कि लेखक सलमान रुश्दी सन 1981 में अपने दूसरे उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के साथ सुर्खियों में आए थे. इस किताब में स्वतंत्रता के बाद के भारत के चित्रण के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

इसके बाद साल 1988 में आई उनकी पुस्तक "द सैटेनिक वर्सेज" ने कल्पना से परे दुनिया का ध्यान आकर्षित किया क्योंकि इस लेखन को लेकर ईरानी क्रांतिकारी नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने उनकी मौत का फतवा जारी किया था. इस उपन्यास को कुछ मुसलमानों ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान माना था.

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