
नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि नयी दिल्ली और मुम्बई समृद्धि की ओर बढ़ रहे विश्व के 95 शहरों की सूची में शुमार हैं, लेकिन भारत के ये दोनों महानगर खराब आधारभूत ढांचे और खराब पर्यावरण स्थितियों जैसे कारणों के चलते इस दिशा में केवल ‘‘आधा सफर’’ ही तय कर पाए हैं।
‘यू एन हैबीटेट’ के विशेषज्ञों की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड सिटीज’ उत्पादकता, जीवन की गुणवत्ता, आधारभूत ढांचे, पर्यावरण और समानता जैसे विभिन्न आधारों पर शहरों की समृद्धि का आकलन करती है और इन सभी पांच श्रेणियों में भारतीय शहर ढाका, काठमांडो तथा कंपाला से थोड़ा ऊपर हैं।
बुधवार को जारी रिपोर्ट में विश्व के शहरों में मुम्बई को 52वां और नई दिल्ली को 58वां स्थान मिला है। हालांकि, चीन के दो शहरों शंघाई और बीजिंग का आंकड़ा काफी ऊपर है।
रिपोर्ट से जुड़े मुख्य अध्ययनकर्ता एडवर्ड लोपेज मोरेनो ने कहा, ‘दोनों भारतीय शहर समूह 4 के तहत आते हैं और वे (समृद्धि के) मध्यम स्तर पर हैं। समृद्धि से मतलब सिर्फ आर्थिक संपन्नता से नहीं, बल्कि शहर में आधारभूत ढांचे और जीवन की गुणवत्ता से भी है। दोनों शहरों को खराब पर्यावरण स्थितियों का खामियाजा भुगतना पड़ा है, खासकर नई दिल्ली को।’ संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक ने कहा कि दोनों भारतीय शहर ‘समृद्धि का आधा सफर’ ही तय कर पाए हैं और जोर दिया कि दोनों शहरों में पूर्णतया सुधार के लिए ‘राजनीतिक एवं तकनीकी’ हस्तक्षेप की जरूरत है।
‘यू एन हैबीटेट’ के विशेषज्ञों की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड सिटीज’ उत्पादकता, जीवन की गुणवत्ता, आधारभूत ढांचे, पर्यावरण और समानता जैसे विभिन्न आधारों पर शहरों की समृद्धि का आकलन करती है और इन सभी पांच श्रेणियों में भारतीय शहर ढाका, काठमांडो तथा कंपाला से थोड़ा ऊपर हैं।
बुधवार को जारी रिपोर्ट में विश्व के शहरों में मुम्बई को 52वां और नई दिल्ली को 58वां स्थान मिला है। हालांकि, चीन के दो शहरों शंघाई और बीजिंग का आंकड़ा काफी ऊपर है।
रिपोर्ट से जुड़े मुख्य अध्ययनकर्ता एडवर्ड लोपेज मोरेनो ने कहा, ‘दोनों भारतीय शहर समूह 4 के तहत आते हैं और वे (समृद्धि के) मध्यम स्तर पर हैं। समृद्धि से मतलब सिर्फ आर्थिक संपन्नता से नहीं, बल्कि शहर में आधारभूत ढांचे और जीवन की गुणवत्ता से भी है। दोनों शहरों को खराब पर्यावरण स्थितियों का खामियाजा भुगतना पड़ा है, खासकर नई दिल्ली को।’ संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक ने कहा कि दोनों भारतीय शहर ‘समृद्धि का आधा सफर’ ही तय कर पाए हैं और जोर दिया कि दोनों शहरों में पूर्णतया सुधार के लिए ‘राजनीतिक एवं तकनीकी’ हस्तक्षेप की जरूरत है।
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