तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विशेषज्ञ सुजीत चौधरी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के स्कूल आफ लॉ में पहले भारतवंशी डीन बन गए हैं।
दिल्ली में जन्मे और टोरंटो में पले-बढ़े सुजीत (44) न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ में सेसेलिया गोएट्ज प्रोफेसर और इसके सेंटर फॉर कांस्टीट्युशनल ट्रांजिशंस के संस्थापक रहे हैं।
बर्कले स्थित कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ के 12वें डीन के रूप में उनका पांच साल का कार्यकाल सोमवार को शुरू हुआ। बर्कले के कार्यकारी कुलपति और अध्यक्ष क्लाउडे स्टीले ने सुजीत को एक विद्वान प्राध्यापक और परामर्शदाता करार दिया है, जो वैधानिक पेशे के त्वरित बदलाव के वक्त अपने महत्वपूर्ण सुझाव के साथ इसे प्रेरित और इसका नेतृत्व करेंगे।
बर्कले लॉ स्कूल के वार्षिक ट्रांस्क्रिप्ट पत्रिका को दिए साक्षात्कार में सुजीत ने अपनी नई जिम्मेदारी को जीवनभर का अवसर करार दिया। उन्होंने कहा, बर्कले लॉ की विशिष्टता इसकी संस्कृति है।
सुजीत संयुक्त राष्ट्र के मेडिएशन रॉस्टर के सदस्य हैं और उन्होंने विश्व बैंक संस्थान में सलाहकार के रूप में भी काम किया है और मिस्र, जार्डन, लीबिया, ट्युनिशिया, नेपाल और श्रीलंका में संवैधानिक बदलाव में विशेषज्ञ की भूमिका निभाई है।
सुजीत ने 2011 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लॉ पत्रिका से कहा था कि उनके प्रवासी भारतीय माता-पिता ने विद्वानों को तैयार करने के लिए एक घर बनाया था। उन्होंने कहा, मेरा पूरा परिवार बुद्धिजीवी प्रेरणा से भरा हुआ है। यहां रेडियो पर हमेशा सीबीसी का कार्यक्रम प्रसारित होता है, हम हर रोज कई समाचार पत्र पढ़ते हैं।
सुजीत के दिवंगत पिता नंदा यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में अर्थशास्त्र पढ़ाते थे, उनकी मां उशी नर्सिंग की प्राध्यापिका थी। सुजीत के 70 आलेख, पुस्तकों के अध्याय और रिपोर्ट प्रकाशित हो चुके हैं। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से जुड़ने से पहले सुजीत यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में सहायक डीन थे। वर्ष 2011 में साउथ एशियन बार एसोसिएशन ऑफ टोरंटो ने उन्हें प्रैक्टिशनर ऑफ द ईयर का पुरस्कार दिया था।
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