प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
लंदन के एक दंपति को अपने बच्चों को भारत में उनके बीमार दादा से मिलवाने के लिए स्कूल से छुट्टी दिलाना महंगा पड़ गया। हालत यह है कि स्कूल ने जुर्माना लेने से इनकार कर दिया है और भारतीय मूल के इस दंपती को अदालत में घसीटा गया है।
शाहनवाज़ और सोफिया पटेल ने पिछले साल दिसंबर में यात्रा को लेकर अपने बेटों 11 साल के उमर और आठ साल के ऐद की अधिकृत छुट्टी के लिए एक आवेदन दिया था, लेकिन स्कूल ने छुट्टी देने से मना कर दिया था। उस वक्त बच्चों के दादाजी की भारत में सर्जरी हो रही थी।
शाहनवाज ने 'द गार्डियन' को बताया, 'हम नहीं चाहते थे कि हमारे बच्चे अपने दादाजी से मिलने का मौका गंवा दें, इसलिए हमने उन्हें ले जाने का फैसला किया।' उन्होंने बताया कि स्कूल को किया गया यह ऐसा पहला अनुरोध था और मेरे बच्चों की कभी अनधिकृत गैर हाजिरी नहीं रही। मैंने स्कूल से बच्चों की यात्रा के दौरान उन्हें इस वक्फे का काम देने को भी कहा था, लेकिन इससे भी इनकार कर दिया गया था।
सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, स्कूल चलने के दिनों में प्रिंसपल को आवेदन देकर ही बच्चों को कहीं ले जाया जा सकता है और वह भी तक अगर परिस्थितियां असाधारण हों।
हालांकि पटेल दंपति से कहा गया कि परिस्थितियां असाधारण नहीं थीं और उन पर 480 पाउंड का जुर्माना लगाया गया। पटेल ने जुर्माने की रकम अदा करने की पेशकश भी की, लेकिन लंकाशायर काउंटी काउंसिल ने उनसे कहा कि इसकी समय सीमा खत्म हो गई है, इसलिए उन्हें बुधवार को प्रीस्टन मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होना होगा।
अखबार की खबर के मुताबिक, कानूनी पेशे से जुड़ा काम करने वाले पटेल अब मुकदमा लड़ने का इरादा रखते हैं। उन्होंने इस सिलसिले में ब्रिटिश शिक्षामंत्री निकी मोर्गन और शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है।
लंकाशायर काउंटी काउंसिलर मैथ्यू टोमिलसन ने कहा है कि उनका मकसद अभिभावक को दंडित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे स्कूल जाएं और अच्छी शिक्षा हासिल करें।
शाहनवाज़ और सोफिया पटेल ने पिछले साल दिसंबर में यात्रा को लेकर अपने बेटों 11 साल के उमर और आठ साल के ऐद की अधिकृत छुट्टी के लिए एक आवेदन दिया था, लेकिन स्कूल ने छुट्टी देने से मना कर दिया था। उस वक्त बच्चों के दादाजी की भारत में सर्जरी हो रही थी।
शाहनवाज ने 'द गार्डियन' को बताया, 'हम नहीं चाहते थे कि हमारे बच्चे अपने दादाजी से मिलने का मौका गंवा दें, इसलिए हमने उन्हें ले जाने का फैसला किया।' उन्होंने बताया कि स्कूल को किया गया यह ऐसा पहला अनुरोध था और मेरे बच्चों की कभी अनधिकृत गैर हाजिरी नहीं रही। मैंने स्कूल से बच्चों की यात्रा के दौरान उन्हें इस वक्फे का काम देने को भी कहा था, लेकिन इससे भी इनकार कर दिया गया था।
सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, स्कूल चलने के दिनों में प्रिंसपल को आवेदन देकर ही बच्चों को कहीं ले जाया जा सकता है और वह भी तक अगर परिस्थितियां असाधारण हों।
हालांकि पटेल दंपति से कहा गया कि परिस्थितियां असाधारण नहीं थीं और उन पर 480 पाउंड का जुर्माना लगाया गया। पटेल ने जुर्माने की रकम अदा करने की पेशकश भी की, लेकिन लंकाशायर काउंटी काउंसिल ने उनसे कहा कि इसकी समय सीमा खत्म हो गई है, इसलिए उन्हें बुधवार को प्रीस्टन मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होना होगा।
अखबार की खबर के मुताबिक, कानूनी पेशे से जुड़ा काम करने वाले पटेल अब मुकदमा लड़ने का इरादा रखते हैं। उन्होंने इस सिलसिले में ब्रिटिश शिक्षामंत्री निकी मोर्गन और शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है।
लंकाशायर काउंटी काउंसिलर मैथ्यू टोमिलसन ने कहा है कि उनका मकसद अभिभावक को दंडित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे स्कूल जाएं और अच्छी शिक्षा हासिल करें।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं