जापान:
एक जापानी अधिकारी के मुताबिक, एक चीनी निरीक्षण जहाज उस अमेरिकी विमान वाहक पोत, जान सी स्टेनिस के पास आ गया जिसके पास भारत,अमेरिका और जापान का संयुक्त नौसैनिक अभ्यास चल रहा था। चीन इस इलाके को अपने जहाजों के रखरखाव की जगह मानता है। ये नौसैनिक अभ्यास उस समय हो रहा है जब अमेरिका और जापान को आशंका है कि चीन दक्षिण चीन सागर में जहाजों और पनडुब्बियों को आगे कर पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। चीन प्रशांत क्षेत्र को समुद्री रास्तों और सैन्य ताकत के लिहाज से महत्वपूर्ण मानते हुए इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।
10,000 टन का स्टेनिस, जो एफ 18 लड़ाकू जेट ले जा सकता है, हाल ही में जापान के ओकिनावा द्वीप समूह के निकट हो रहे आठ दिन तक चलने वाले नौसैनिक अभ्यास से जुड़ा है जहां पहले से ही नौ जहाज मौजूद हैं जिसमें जापानी हेलीकॉप्टर वाहक और भारतीय नौसेना के बेड़े भी शामिल हैं। इस संयुक्त कार्यक्रम में जापान के निगरानी हवाई जहाज भी भाग ले रहे हैं। जापानी मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के अधिकारी ने नाम न बताने कि शर्त पर बताया कि चीनी जहाज दक्षिण चीन सागर से ही स्टेनिस का पीछा कर रहा है और बाकी जहाजों से जल्द ही अलग हो जाएगा ताकि चीनी जहाजों को झांसा देकर दूर ले जाया जा सके।
पश्चिम प्रशांत में जापान के प्रमुख द्वीपों से लेकर ताइवान तक करीब 200 द्वीप से घिरे 100 किमी का क्षेत्र चीन की पहुंच को रोक रहे हैं। जापान ने राडार स्टेशन और एंटी शिप मिसाइल बैटरी जैसे तरीकों से अपने द्वीपों की किलेबंदी कर रखी है। सैन्य अभ्यास से जुड़कर जापान चीन की बढ़ती ताकत का जवाब देने की उम्मीद कर रहा है। चीन और जापान के बीच तनाव तब बढ़ गया था जब चीन का युद्धपोत पूर्व चीन सागर के द्वीपों के क्षेत्र में 24 मील (38 किमी) अंदर तक आ गए थे। ताईवान के उत्तर में ये उभरे हुए छोटे छोटे द्वीप जापान में सेन्काकू और चीन में दियाओयू के नाम से जाने जाते हैं। चीन की बढ़ती हुई उग्र नौसैन्य गतिविधियों की वजह से चिंतित अमेरिका अपनी नौसेना के तीसरे बेड़े से कुछ और जहाज पूर्वी एशिया में जापान के साथ कार्यरत अपने सातवें बेड़े के पास भेजने की योजना बना रहा है।
भारत के लिए ये एक मौका है कि वो चीन के पूर्वी सागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर चीन की हिंद महासागर में उसकी बढ़ती नौसैन्य गतिविधियों के प्रति अप्रसन्नता जाहिर कर सके। भारत ने भी इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में चार जहाजी बेड़े भेजे हैं जो फिलीपींस और वियतनाम से होकर गुजरेंगे।
10,000 टन का स्टेनिस, जो एफ 18 लड़ाकू जेट ले जा सकता है, हाल ही में जापान के ओकिनावा द्वीप समूह के निकट हो रहे आठ दिन तक चलने वाले नौसैनिक अभ्यास से जुड़ा है जहां पहले से ही नौ जहाज मौजूद हैं जिसमें जापानी हेलीकॉप्टर वाहक और भारतीय नौसेना के बेड़े भी शामिल हैं। इस संयुक्त कार्यक्रम में जापान के निगरानी हवाई जहाज भी भाग ले रहे हैं। जापानी मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के अधिकारी ने नाम न बताने कि शर्त पर बताया कि चीनी जहाज दक्षिण चीन सागर से ही स्टेनिस का पीछा कर रहा है और बाकी जहाजों से जल्द ही अलग हो जाएगा ताकि चीनी जहाजों को झांसा देकर दूर ले जाया जा सके।
पश्चिम प्रशांत में जापान के प्रमुख द्वीपों से लेकर ताइवान तक करीब 200 द्वीप से घिरे 100 किमी का क्षेत्र चीन की पहुंच को रोक रहे हैं। जापान ने राडार स्टेशन और एंटी शिप मिसाइल बैटरी जैसे तरीकों से अपने द्वीपों की किलेबंदी कर रखी है। सैन्य अभ्यास से जुड़कर जापान चीन की बढ़ती ताकत का जवाब देने की उम्मीद कर रहा है। चीन और जापान के बीच तनाव तब बढ़ गया था जब चीन का युद्धपोत पूर्व चीन सागर के द्वीपों के क्षेत्र में 24 मील (38 किमी) अंदर तक आ गए थे। ताईवान के उत्तर में ये उभरे हुए छोटे छोटे द्वीप जापान में सेन्काकू और चीन में दियाओयू के नाम से जाने जाते हैं। चीन की बढ़ती हुई उग्र नौसैन्य गतिविधियों की वजह से चिंतित अमेरिका अपनी नौसेना के तीसरे बेड़े से कुछ और जहाज पूर्वी एशिया में जापान के साथ कार्यरत अपने सातवें बेड़े के पास भेजने की योजना बना रहा है।
भारत के लिए ये एक मौका है कि वो चीन के पूर्वी सागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर चीन की हिंद महासागर में उसकी बढ़ती नौसैन्य गतिविधियों के प्रति अप्रसन्नता जाहिर कर सके। भारत ने भी इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में चार जहाजी बेड़े भेजे हैं जो फिलीपींस और वियतनाम से होकर गुजरेंगे।
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