चीन के इस विमानवाहक पोत को अगले वर्ष ट्रायल के लिए उतारा जा सकता है
नई दिल्ली.:
चीन का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत लगभग तैयार है और इसे अगले वर्ष समुद्र में ट्रायल के लिए उतारा जा सकता है. शीर्ष डिफेंस न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी और ऑनलाइन उपलब्ध फोटो के अनुसार, इस विमानवाहक पोत पर लड़ाकू जेट विमानों और हेलीकॉप्टरों को रखा जाएगा.
फोटो बताते हैं कि विमानवाहक पोत में केवल इसके सुपरस्ट्रक्चर को स्थापित किया जाना है, जिसे विमानवाहक पोत के 'आइलैंड' के नाम से भी जाना जाता है. यह हिस्सा अन्य प्रमुख प्रणालियों के अलावा पोत के ब्रिज, उसकी उड्डयन सुविधाओं, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम को समाहित किए हुए है. 001 ए श्रेणी का यह पोत 24 शेनयांगकरीब 36 विमान ले जाने में सक्षम हैं
इस निर्माणाधीन विमानवाहक पोत की लीक हुई तस्वीरों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, कर्नल वू क्विन ने कहा, 'मैं आपको केवल यह बताने के लिए अधिकृत हूं कि स्वदेश में निर्मित पहले विमानवाहक पोत का निर्माण योजना के अनुसार चल रहा है. स्वदेश में निर्मित हमारा यह पहला विमानवाहक पोत न केवल देखने में प्रभावी है बल्कि यह आंतरिक रूप से बेहद मजबूत और शक्तिशाली है.'
इस पोत का निर्माण बीजिंग के पूर्व में स्थित डलियन पोर्ट के ड्राई-डॉक पर किया जा रहा है.
इसे चीन के पहले पोत लियोनिंग की तर्ज पर तैयार किया गया है, जो मूल रूप से रूस में बनाया गया था. हालांकि सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे यूक्रेन स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां से 1998 में चीन ने इसे हासिल किया.
001 ए श्रेणी का यह पोत 24 शेनयांग जे-15 फाइटर्स सहित करीब 36 विमान, रूसी केए-31 हवाई चेतावनी और नियंत्रण हेलीकॉप्टर्स और आठ मल्टी-रोल (बहुुभूमिका वाले) हेलीकॉप्टर ले जाने में सक्षम है.
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना विमानवाहक पोत की दुनिया के सबसे अनुभवी संचालकों में से एक है, लेकिन उसके पास फिलहाल संचालन के योग्य केवल एक ही विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रमादित्य है. इस विमानवाहक पोत को रूस से हासिल किया गया था. भारत के स्वदेश निर्मित पहले विमानवाहक पोत, विक्रांत का निर्माण कोच्चि में 2009 से हो रहा है. हालांकि इसके निर्माण में लगातार देर हो रही है, क्योंकि इसके लिए प्राथमिक रडार सिस्टम और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हासिल की जानी हैं.
चीनी नौसेना की पोत निर्माण प्रक्रिया पर निगाह जमाए भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने NDTV से कुछ समय पहले कहा था कि विमानवाहक पोत के कुशल संचालन के लिए कई वर्षों के अनुभव की आवश्यकता होती है. हालांकि जिस गति से चीन पनडुब्बी और विमानवाहक पोत सहित युद्धपोत तैयार कर रहा है, वह निश्चित रूप से 'आंखें खोलने' वाला है.
फोटो बताते हैं कि विमानवाहक पोत में केवल इसके सुपरस्ट्रक्चर को स्थापित किया जाना है, जिसे विमानवाहक पोत के 'आइलैंड' के नाम से भी जाना जाता है. यह हिस्सा अन्य प्रमुख प्रणालियों के अलावा पोत के ब्रिज, उसकी उड्डयन सुविधाओं, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम को समाहित किए हुए है.
इस निर्माणाधीन विमानवाहक पोत की लीक हुई तस्वीरों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, कर्नल वू क्विन ने कहा, 'मैं आपको केवल यह बताने के लिए अधिकृत हूं कि स्वदेश में निर्मित पहले विमानवाहक पोत का निर्माण योजना के अनुसार चल रहा है. स्वदेश में निर्मित हमारा यह पहला विमानवाहक पोत न केवल देखने में प्रभावी है बल्कि यह आंतरिक रूप से बेहद मजबूत और शक्तिशाली है.'
इस पोत का निर्माण बीजिंग के पूर्व में स्थित डलियन पोर्ट के ड्राई-डॉक पर किया जा रहा है.
इसे चीन के पहले पोत लियोनिंग की तर्ज पर तैयार किया गया है, जो मूल रूप से रूस में बनाया गया था. हालांकि सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे यूक्रेन स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां से 1998 में चीन ने इसे हासिल किया.
001 ए श्रेणी का यह पोत 24 शेनयांग जे-15 फाइटर्स सहित करीब 36 विमान, रूसी केए-31 हवाई चेतावनी और नियंत्रण हेलीकॉप्टर्स और आठ मल्टी-रोल (बहुुभूमिका वाले) हेलीकॉप्टर ले जाने में सक्षम है.
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना विमानवाहक पोत की दुनिया के सबसे अनुभवी संचालकों में से एक है, लेकिन उसके पास फिलहाल संचालन के योग्य केवल एक ही विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रमादित्य है. इस विमानवाहक पोत को रूस से हासिल किया गया था. भारत के स्वदेश निर्मित पहले विमानवाहक पोत, विक्रांत का निर्माण कोच्चि में 2009 से हो रहा है. हालांकि इसके निर्माण में लगातार देर हो रही है, क्योंकि इसके लिए प्राथमिक रडार सिस्टम और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हासिल की जानी हैं.
चीनी नौसेना की पोत निर्माण प्रक्रिया पर निगाह जमाए भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने NDTV से कुछ समय पहले कहा था कि विमानवाहक पोत के कुशल संचालन के लिए कई वर्षों के अनुभव की आवश्यकता होती है. हालांकि जिस गति से चीन पनडुब्बी और विमानवाहक पोत सहित युद्धपोत तैयार कर रहा है, वह निश्चित रूप से 'आंखें खोलने' वाला है.