चीन (China) के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) ने कहा कि उनकी अगुवाई में चीन की सेना ‘रणनीतिक प्रतिरोध' की मजबूत प्रणाली बनाने के साथ ही ‘लड़ने और जीतने' के लिए सैन्य प्रशिक्षण तथा लड़ाकू तैयारियों को तेज करेगी. शी ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की पांच साल में एक बार होने वाली कांग्रेस में अपनी कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए यह बात कही. कांग्रेस का सप्ताह भर चलने वाला सत्र रविवार को यहां शुरू हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘हम सैन्य प्रशिक्षण तेज करेंगे और हर स्तर पर लड़ाकू तैयारियों को बढ़ाएंगे ताकि हमारे सशस्त्र बल लड़ें और जीतें.'' पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की सर्वोच्च कमान केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) की अगुवाई करने वाले शी ने अपनी 63 पन्नों की रिपोर्ट में एक विशेष हिस्सा सेना को समर्पित किया है.
भारत-चीन सीमा (LAC) पर, विशेषकर मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में टकराव की स्थिति को देखते हुए शी की योजना भारतीय सैन्य बलों के लिहाज से भी गौर करने वाली लगती हैं. चीन की पीएलए की हमले वाली कार्रवाइयों के कारण मई 2020 में टकराव पैदा हुआ था जिसके बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था.
दोनों पक्षों ने 16 दौर की वार्ता के माध्यम से कुछ मुद्दों का हल निकाला है और लंबित विषयों के समाधान के लिए और अधिक बातचीत करने पर सहमत हुए हैं.
शी ने स्थानीय जंग और सीमा मुद्दों का जिक्र करते हुए किसी देश विशेष का नाम नहीं लिया. हालांकि सीपीसी की कांग्रेस में चीन के सैन्य कमांडर की फबाओ पीएलए की ओर से शामिल 304 प्रतिनिधियों में शामिल थे. फबाओ जून 2020 में गल्वान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हो गये थे.
शी और अन्य नेताओं के कार्यक्रम स्थल में ‘ग्रेट हॉल ऑफ पीपल' पहुंचने से पहले वहां बड़ी स्क्रीनों पर पीएलए के गल्वान में हुए संघर्ष के वीडियो फुटेज के हिस्से चलाये गये जिसमें की फबाओ शामिल थे.
अपनी रिपोर्ट में शी ने कहा कि 2027 में पीएलए के पूर्ण सत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करना तथा चीन के सशस्त्र बलों को और अधिक तेजी से विश्वस्तरीय मानकों तक पहुंचाना एक आधुनिक समाजवादी देश के निर्माण के लिए रणनीतिक कार्य हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम रणनीतिक प्रतिरोध की मजबूत प्रणाली स्थापित करेंगे, नयी लड़ाकू क्षमताओं के साथ नये क्षेत्रीय बलों का अनुपात बढ़ाएंगे, मानवरहित एवं कुशाग्र लड़ाकू क्षमताओं के विकास को गति प्रदान करेंगे और नेटवर्क सूचना प्रणाली के समन्वित विकास और अनुप्रयोग को बढ़ावा देंगे.''
शी ने कहा, ‘‘हम संयुक्त परिचालनों के लिए कमान प्रणाली को उन्नत करेंगे और निगरानी और त्वरित चेतावनी, संयुक्त हमलों, युद्ध क्षेत्रों में सहयोग एवं एकीकृत साजो-सामान समर्थन के लिए अपनी प्रणाली और क्षमता का विस्तार करेंगे.''
संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य अभियानों के बीच शी के बयान महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.
चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके हिस्सों पर अपना दावा करते हैं.
बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाये हैं. चीन के पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद चल रहा है.
शी ने कहा, ‘‘हम नियमित आधार पर और विविध प्रकार से अपने सैन्य बलों को तैनात करने में सक्षम बनेंगे और हमारी सेना अपने अभियानों में दृढ़ और लचीला दोनों तरह का रुख रखेगी. यह हमें हमारे सुरक्षा अवस्थाओं को आकार देने, संकटों तथा संघर्षों का प्रतिरोध और प्रबंधन करने तथा स्थानीय युद्धों को जीतने में समर्थ बनाएगा.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम सेना और सरकार के बीच तथा सेना और जनता के बीच एकता को मजबूत करेंगे.''
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