
चीन ने कहा है कि वह सेना के आधुनिकीकरण को तेज करने के साथ खुद को एक ‘समुद्री शक्ति’ के तौर पर स्थापित करेगा। उसका यह ऐलान भारत और कुछ अन्य पड़ोसी देशों को चिंता में डाल सकता है।
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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता माओ त्से तुंग के सैन्य रणनीतिक सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति हू जिंताओ ने 10 साल पर एक बार होने वाली पार्टी कांग्रेस की बैठक में कहा कि चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के आधुनिकरण को मजबूती देगा। पीएलए में 23 लाख सैन्यकर्मी हैं।
जिंताओ ने कहा, ‘‘देश के रक्षा क्षेत्र और सैन्य बलों को आधुनिक बनाने के लिए हमें माओ त्से तुंग की सैन्य सोच तथा देंग श्याओपिंग (माओ के उत्तराधिकारी) के सैन्य क्षमता में इजाफा करने के विचार का अनुसरण करना होगा।’’ सीपीसी की ओर से जल्द ही नए नेता का ऐलान किए जाने के बाद जिंताओ पद छोड़ देंगे। उनकी जगह उपराष्ट्रपति जी जिनपिंग को चीन का नया राष्ट्रपति बनाए जाने की प्रबल संभावना है।
जिंताओ ने चीन को समुद्री शक्ति बनाने के लिए अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री संसाधनों का दोहन करने, चीन के समुद्री अधिकारों एवं हितों की सुरक्षा करने तथा समुद्री शक्ति बनने के लिए हमें अपनी क्षमता में इजाफा करना चाहिए।’’ चीन इस साल अपने रक्षा बजट को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर कर रहा है। वह अपने पहले विमान वाहक पोत का निर्माण कर चुका है। इसके साथ ही उसने रडार को चकमा देने में सक्षम कई लड़ाकू विमानों के परीक्षण किए हैं।
यह भी आधिकारिक है कि उसने कई आधुनिक मिसाइलों को विकसित किया है। इनमें आईसीबीएम मिसाइल 14 हजार किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। जिंताओ ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी को सैन्य बलों पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण बरकरार रखना चाहिए।
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