प्रतीकात्मक फोटो
बीजिंग:
चीन के हवाई क्षेत्र के लिए ‘खतरा’ पैदा करने वाले देशों में भारत को भी अमेरिका, जापान, ताइवान और वियतनाम के साथ जोड़ते हुए पीएलए ने अपनी हवाई निगरानी को विस्तार देने तथा तेज गति वाली क्रूज मिसाइलों और नई पीढ़ी के बमवर्षक विमानों के साथ हमले की क्षमता में बढ़ोतरी की पैरवी की है।
जापानी समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार चीन की ‘एयर फोर्स कमांड एकैडमी’ ने अपनी पिछले साल की रिपोर्ट में अमेरिका, जापान, ताइवान, भारत और वियतनाम को अपने सैन्य हवाई क्षेत्र के लिए 2030 तक ‘खतरा’ करार दिया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी पीढ़ी के विमान वाहक पोत और नए बमवर्षक विमान के साथ चीन की नौसना का व्यापक विस्तार हुआ है, जिसने दुनिया का ध्यान खींचा है, लेकिन नए अध्ययन से पता चलता है कि वायुसेना ने भी इसी तरह के विस्तार की रणनीति को विकसित करना आरंभ कर दिया है।
अध्ययन में खतरों का मुकाबला करने के लिए नौ तरह के रणनीतिक उपकरणों का आह्वान किया गया है। इनमें उच्च गति की क्रूज मिसाइलें, बड़े परिवहन विमान, एयरशिप (एक तरह का हल्का विमान), नई पीढ़ी का लड़ाकू विमान, मानवरहित लड़ाकू विमान, उपग्रह तथा सटीक बम शामिल हैं।
जापानी समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार चीन की ‘एयर फोर्स कमांड एकैडमी’ ने अपनी पिछले साल की रिपोर्ट में अमेरिका, जापान, ताइवान, भारत और वियतनाम को अपने सैन्य हवाई क्षेत्र के लिए 2030 तक ‘खतरा’ करार दिया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी पीढ़ी के विमान वाहक पोत और नए बमवर्षक विमान के साथ चीन की नौसना का व्यापक विस्तार हुआ है, जिसने दुनिया का ध्यान खींचा है, लेकिन नए अध्ययन से पता चलता है कि वायुसेना ने भी इसी तरह के विस्तार की रणनीति को विकसित करना आरंभ कर दिया है।
अध्ययन में खतरों का मुकाबला करने के लिए नौ तरह के रणनीतिक उपकरणों का आह्वान किया गया है। इनमें उच्च गति की क्रूज मिसाइलें, बड़े परिवहन विमान, एयरशिप (एक तरह का हल्का विमान), नई पीढ़ी का लड़ाकू विमान, मानवरहित लड़ाकू विमान, उपग्रह तथा सटीक बम शामिल हैं।
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