बीजिंग:
चीन ने कहा कि वह अफगानिस्तान में 16 साल पुराने संकट को हल करने के प्रयासों में पाकिस्तान और काबुल को साथ लाने के लिए ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा. बीजिंग के इस नए कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त नीति का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. चीन की नयी अफगानिस्तान नीति को सामने रखते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने में बीजिंग ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा.
आसिफ ने वांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने और अफगान समस्या का राजनीतिक समाधान करने में चीन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. इस कदम का सहयोग करने के लिए पाकिस्तान पहले ही कदम उठा चुका है और हम काबुल के साथ संबंध सुधारने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे.’’
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पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि बीजिंग के अपने दौरे से पहले उन्होंने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी से बातचीत की और दोनों संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मुलाकात करने पर सहमति जताई.
VIDEO: भारत और चीन ने रिश्ते सुधारने के प्रयास किए हैं
वांग ने कहा, ‘‘अच्छे संबंध दोनों देशों को फायदा पहुंचाएगा, वरना दोनों को नुकसान होगा. इसलिए हम आशा करते हैं कि दोनों देश एक ही दिशा में काम करेंगे और मिलकर काम करेंगे तथा क्षेत्र में शांति में योगदान देंगे.’’ (भाषा की रिपोर्ट)
आसिफ ने वांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने और अफगान समस्या का राजनीतिक समाधान करने में चीन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. इस कदम का सहयोग करने के लिए पाकिस्तान पहले ही कदम उठा चुका है और हम काबुल के साथ संबंध सुधारने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे.’’
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पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि बीजिंग के अपने दौरे से पहले उन्होंने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी से बातचीत की और दोनों संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मुलाकात करने पर सहमति जताई.
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वांग ने कहा, ‘‘अच्छे संबंध दोनों देशों को फायदा पहुंचाएगा, वरना दोनों को नुकसान होगा. इसलिए हम आशा करते हैं कि दोनों देश एक ही दिशा में काम करेंगे और मिलकर काम करेंगे तथा क्षेत्र में शांति में योगदान देंगे.’’ (भाषा की रिपोर्ट)
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