अमेरिका की एक प्रभावशाली सांसद ने दावा किया है कि चीन हिंद महासागर के प्रमुख क्षेत्रों में अपनी पैठ बना रहा है और इस जल क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार में बाधा डाल रहा है, जिससे अमेरिका और दक्षिण एशिया में उसके मित्र देशों और सहयोगियों की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों पर खतरा मंडरा रहा है.
विदेश मामलों की समिति में हिंद-प्रशांत के मुद्दों से संबंधित उपसमिति की अध्यक्ष यंग ने मंगलवार को कहा, ''हम हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत के महत्व को नहीं भूल सकते.''
किम ने कहा कि इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, जिससे अमेरिका के समक्ष कई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं.
उन्होंने कहा, ''चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) हिंद महासागर में महत्वपूर्ण मार्गों पर कब्जा कर रही है और इस जल क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार में बाधा डाल रही है. हाल के वर्षों में हमने पाकिस्तान और श्रीलंका में चीन के बंदरगाहों, जिबूती में सैन्य प्रतिष्ठानों और मालदीव के बुनियादी ढांचे में चीन के निवेश को देखा है, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हितों तथा क्षेत्र में हमारे मित्रों और सहयोगियों के लिए खतरा बन रहा है.''
किम ने कहा, ''पिछले महीने मेरी उपसमिति ने हिंद-प्रशांत बजट, दक्षिण चीन सागर तथा ताइवान जलडमरूमध्य पर चीन के आक्रमक रुख पर चर्चा की थी. सीसीपी भारत की नियंत्रण रेखा पर सीमा संघर्ष को भी बढ़ा रहा है और इसकी पनडुब्बियां और युद्धपोत नियमित रूप से हिंद महासागर में आवागमन कर रहे हैं.''
चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं.
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