अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) कई बार कह चुके हैं कि मौजूदा वैश्विक राजनीति एक अहम मोड़ पर है. उनका कहना है कि यह एक ऐसा पल है जब लोगों को सरकारों वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था और तानाशाही में से किसी एक को चुनना होगा. रॉयटर्स के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping), जो हाल ही में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के सर्वोच्च पद पर एक बार फिर चुने गए हैं, उन्होंने यह चिंताएं बढ़ा दीं हैं कि वो ताज़िंदगी चीन पर शासन करना चाहते हैं.
चीन के सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बाली में सोमवार को जो बाइडेन से मुलाकात के दौरान शी ने बाइडेन से कहा, "कथित लोकतंत्र बनाम तानाशाही का कथानक आज की दुनिया को सही से परिभाषित नहीं करता है, साथ ही आज के समय का सही से प्रतिनिधित्व भी नहीं करता है."
रिपोर्ट्स के अनुसार, शी चिनफिंग ने बताया कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार, इंसानियत के साझा लक्ष्य हैं. साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी भी इन लक्ष्यों की ओर लगातार अग्रसर रहती है. लेकिन अमेरिका में अमेरिकी स्टाइल का लोकतंत्र है. चीन में चीन के तरीके का लोकतंत्र है."
चीनी नेता चीन की ऐसी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो एक पार्टी सिस्टम में चल रही है और कई मानवाधिकार संगठन, पश्चिमी नेता और विद्वान इसे तानाशाही कहते हैं क्योंकि इसमें स्वतंत्र न्यायप्रणाली, स्वतंत्र मीडिया नहीं है. शी चिनफिंग के आलोचक और उनकी पार्टी के आलोचकों को ऑनलाइन सेंसर कर दिया जाता और उनपर हिरासत में जाने का खतरा मंडराता रहता है.
पिछले साल, जो बाइ़डेन ने 100 से अधिक वैश्विक नेताओं की एक वर्चुअल बैठक आयोजित की थी. इसका विषय था, बेरोक-टोक लोकतंत्र और अधिकारों के लगातार पतन की मंजूरी क्या दी जा सकती है? इसमें उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या हम एक साथ एक विज़न पर काम कर सकते हैं, क्या हम एक साथ इतनी हिम्मत कर सकते हैं कि हम एक बार फिर मानव-विकास की ओर मानव-स्वतंत्रता की ओर प्रगति कर सकें? इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति शामिल नहीं थे.
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