बीजिंग:
चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा लद्दाख के चुमार सेक्टर में की गई ताजा घुसपैठ का वस्तुत: बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि उसके सैनिक नियंत्रण रेखा के अपनी ओर गश्त कर रहे थे। चीन ने साथ ही जोर देकर कहा कि अंतिम समाधान होने तक ‘यथास्थिति’ में बदलाव नहीं होना चाहिए।
रक्षामंत्री एके एंटनी की गत सप्ताह चीन यात्रा से पहले हुई इस घटना के बारे में पूछे जाने पर चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘मैंने संबंधित खबरें देखी हैं लेकिन मुझे विशिष्ट स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘चीन के सैनिक चीन-भारत सीमा के वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपनी ओर गश्त कर रहे हैं।’
उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जोर देकर कहा कि किसी भी पक्ष को कोई भी ढांचागत विकास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘सीमा क्षेत्रों में आम तौर पर स्थिति स्थिर है। हमारी इस बात पर सहमति है कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक हममें से किसी को भी (भारत या चीन में से किसी को भी) यथास्थिति में बदलाव नहीं करना चाहिए।’’
हुआ ने कहा, ‘‘चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द को बनाए रखने के लिए भारतीय पक्ष के साथ संयुक्त प्रयास करेगा।’’ घुसपैठ की घटना गत 17 जून को हुई थी जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक लद्दाख के चुमार सेक्टर में घुस आए और कुछ बंकरों को नष्ट करने के साथ ही भारतीय चीमा चौकी पर लगे कैमरों की तारें भी काट दीं।
हटाये गये कैमरे कथित रूप से एंटनी की चीन यात्रा से एक दिन पहले 3 जुलाई को लौटा दिए गए। वर्ष 2006 के बाद से ऐसा पहली हुआ जब भारतीय रक्षा मंत्री ने चीन की यात्रा की।
एंटनी ने 5 और 6 जुलाई को चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, चीन के रक्षामंत्री जनरल चेंग वानक्वान और भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि यांग जेइची से मुलाकात की।
उससे पहले यांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने 28 जून और 29 जून को 16वें दौर की सीमा वार्ता की। इस वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने सकारात्मक प्रगति की बात की।
एंटनी ने कहा कि उन्होंने मुक्त और स्पष्ट चर्चा की जिसमें सीमा मुद्दे के लगभग सभी पहलु शामिल थे। इसमें देपसांग घाटी में गत 15 अप्रैल को हुई घुसपैठ की वह घटना भी शामिल थी जब चीनी सैनिकों ने वहां तंबू गाड़ लिये थे।
इस मामले का समाधान 20 दिन के बाद हुआ और इस दौरान यह दोनों देशों के बीच एक गंभीर कूटनीतिक मसला बन चुका था। दोनों पक्षों ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर आदान प्रदान बढ़ाने के लिए एंटनी की यात्रा के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया।
एंटनी ने सीमा विवाद के प्रबंधन पर सहमति के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं परिणाम को लेकर प्रसन्न हूं क्योंकि हमारे बीच आम सहमति है, सैन्य नेतृत्व के बीच सहमति है कि हम जब तक सीमा विवाद का हल नहीं निकाल लेते हमें शांति, स्थिरता और सौहार्द बनाये रखना चाहिए।’’
दोनों पक्षों ने उम्मीद जतायी कि सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) जिस पर वर्तमान समय में चर्चा हो रही है ऐसी घटनाओं से निपटने के काम में आएगा।
एंटनी ने कहा, ‘बीडीसीए पर वास्तव में प्रगति हुई है’ तथा उम्मीद है कि इसे ‘उचित समय’ में अंतिम रूप प्रदान कर दिया जाएगा।
बीडीसीए का उद्देश्य एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जो कि संवाद के लिए मशविरा प्रदान करेगा ताकि दोनों पक्ष सीमा प्रबंधन में सुधार कर सकें।
भारत इस बात पर जोर देता है कि विवाद सीमा के चार हजार किलोमीटर दायरे में है जबकि चीन का कहना है कि यह दो हजार किलोमीटर तक ही सीमित है।
रक्षामंत्री एके एंटनी की गत सप्ताह चीन यात्रा से पहले हुई इस घटना के बारे में पूछे जाने पर चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘मैंने संबंधित खबरें देखी हैं लेकिन मुझे विशिष्ट स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘चीन के सैनिक चीन-भारत सीमा के वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपनी ओर गश्त कर रहे हैं।’
उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जोर देकर कहा कि किसी भी पक्ष को कोई भी ढांचागत विकास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘सीमा क्षेत्रों में आम तौर पर स्थिति स्थिर है। हमारी इस बात पर सहमति है कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक हममें से किसी को भी (भारत या चीन में से किसी को भी) यथास्थिति में बदलाव नहीं करना चाहिए।’’
हुआ ने कहा, ‘‘चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द को बनाए रखने के लिए भारतीय पक्ष के साथ संयुक्त प्रयास करेगा।’’ घुसपैठ की घटना गत 17 जून को हुई थी जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक लद्दाख के चुमार सेक्टर में घुस आए और कुछ बंकरों को नष्ट करने के साथ ही भारतीय चीमा चौकी पर लगे कैमरों की तारें भी काट दीं।
हटाये गये कैमरे कथित रूप से एंटनी की चीन यात्रा से एक दिन पहले 3 जुलाई को लौटा दिए गए। वर्ष 2006 के बाद से ऐसा पहली हुआ जब भारतीय रक्षा मंत्री ने चीन की यात्रा की।
एंटनी ने 5 और 6 जुलाई को चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, चीन के रक्षामंत्री जनरल चेंग वानक्वान और भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि यांग जेइची से मुलाकात की।
उससे पहले यांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने 28 जून और 29 जून को 16वें दौर की सीमा वार्ता की। इस वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने सकारात्मक प्रगति की बात की।
एंटनी ने कहा कि उन्होंने मुक्त और स्पष्ट चर्चा की जिसमें सीमा मुद्दे के लगभग सभी पहलु शामिल थे। इसमें देपसांग घाटी में गत 15 अप्रैल को हुई घुसपैठ की वह घटना भी शामिल थी जब चीनी सैनिकों ने वहां तंबू गाड़ लिये थे।
इस मामले का समाधान 20 दिन के बाद हुआ और इस दौरान यह दोनों देशों के बीच एक गंभीर कूटनीतिक मसला बन चुका था। दोनों पक्षों ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर आदान प्रदान बढ़ाने के लिए एंटनी की यात्रा के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया।
एंटनी ने सीमा विवाद के प्रबंधन पर सहमति के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं परिणाम को लेकर प्रसन्न हूं क्योंकि हमारे बीच आम सहमति है, सैन्य नेतृत्व के बीच सहमति है कि हम जब तक सीमा विवाद का हल नहीं निकाल लेते हमें शांति, स्थिरता और सौहार्द बनाये रखना चाहिए।’’
दोनों पक्षों ने उम्मीद जतायी कि सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) जिस पर वर्तमान समय में चर्चा हो रही है ऐसी घटनाओं से निपटने के काम में आएगा।
एंटनी ने कहा, ‘बीडीसीए पर वास्तव में प्रगति हुई है’ तथा उम्मीद है कि इसे ‘उचित समय’ में अंतिम रूप प्रदान कर दिया जाएगा।
बीडीसीए का उद्देश्य एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जो कि संवाद के लिए मशविरा प्रदान करेगा ताकि दोनों पक्ष सीमा प्रबंधन में सुधार कर सकें।
भारत इस बात पर जोर देता है कि विवाद सीमा के चार हजार किलोमीटर दायरे में है जबकि चीन का कहना है कि यह दो हजार किलोमीटर तक ही सीमित है।
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