फाइल फोटो
वाशिंगटन:
अमेरिका के एक विशेषज्ञ ने चीन की बढ़ती ऋण-पाश अर्थनीति के बारे में सावधान करते हुए कहा कि इसके जरिये वह भारत के गिर्द कई महत्वपूर्ण देशों में प्रभाव बढ़ा सकता है. अंतरराष्ट्रीय आकलन एवं रणनीति केंद्र के वरिष्ठ शोधार्थी रिचर्ड डी. फिशर ने सदन की स्थायी सतर्कता समिति के सदस्यों के समक्ष गवाही में कहा कि चीन ऋण-पाश की अर्थनीति के जरिये श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव में सैन्य अड्डे बना रहा है. उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘‘बांग्लादेश के ऊपर चीन का आठ अरब डॉलर का ऋण है और उसके चीन के साथ करीबी सैन्य संबंध हैं. वह चीन से आधुनिक हथियार प्रणाली भी खरीद रहा है.’’
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उन्होंने कहा, भारत मानता है कि चीन के साथ संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान के मोर्चे से संगठित सैन्य कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने दावा किया कि 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान भारत पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के लिए भी तैयार था. उन्होंने कहा कि भारत ने हाल ही में निकोबार द्वीप में सैन्य क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि हिंद महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियां रोकी जा सकें. फिशर ने कहा कि मालदीव में फरवरी-मार्च 2018 में संकट के समय दोनों पक्षों ने वहां सैन्य टुकड़ियां भेज दी थी. उन्होंने आशंका जाहिर की, चीन ताईवान को प्रमुख परमाणु सैन्य अड्डा बना सकता है और इसके जरिये वह भारत और जापान दोनों को किनारे कर सकता है.
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फिशर ने कहा, ‘‘चीन संभवत: जिबुती में भी ऋण के दबाव के जरिये अमेरिकी सैन्य अड्डे की गतिविधियां बाधित कर रहा है. चीन ने हाल ही में ऋण-पाश के जरिये श्रीलंका में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह हासिल किया है. इसके अलावा वनाउतु, पाकिस्तान, थाईलैंड एवं अन्य देश भी खतरे में हैं. उन्होंने कहा, चीन 2020 के मध्य तक ताईवान पर अधिपत्य जमा सकता है जिसे रोकने की बड़ी वजह यह है कि चीन उसे मुख्य परमाणु सैन्य अड्डा बन देगा. ऐसा कर वह दक्षिण चीन सागर में नियंत्रण बढ़ा जापान को और हिंद महासागर में दखल बढ़ाकर भारत को किनारे लगा सकता है.
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उन्होंने कहा, भारत मानता है कि चीन के साथ संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान के मोर्चे से संगठित सैन्य कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने दावा किया कि 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान भारत पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के लिए भी तैयार था. उन्होंने कहा कि भारत ने हाल ही में निकोबार द्वीप में सैन्य क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि हिंद महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियां रोकी जा सकें. फिशर ने कहा कि मालदीव में फरवरी-मार्च 2018 में संकट के समय दोनों पक्षों ने वहां सैन्य टुकड़ियां भेज दी थी. उन्होंने आशंका जाहिर की, चीन ताईवान को प्रमुख परमाणु सैन्य अड्डा बना सकता है और इसके जरिये वह भारत और जापान दोनों को किनारे कर सकता है.
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फिशर ने कहा, ‘‘चीन संभवत: जिबुती में भी ऋण के दबाव के जरिये अमेरिकी सैन्य अड्डे की गतिविधियां बाधित कर रहा है. चीन ने हाल ही में ऋण-पाश के जरिये श्रीलंका में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह हासिल किया है. इसके अलावा वनाउतु, पाकिस्तान, थाईलैंड एवं अन्य देश भी खतरे में हैं. उन्होंने कहा, चीन 2020 के मध्य तक ताईवान पर अधिपत्य जमा सकता है जिसे रोकने की बड़ी वजह यह है कि चीन उसे मुख्य परमाणु सैन्य अड्डा बन देगा. ऐसा कर वह दक्षिण चीन सागर में नियंत्रण बढ़ा जापान को और हिंद महासागर में दखल बढ़ाकर भारत को किनारे लगा सकता है.
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