- कनाडा सरकार समूह में वीजा आवेदनों को रद्द करने के लिए कानून बनाने जा रही है, निशाने पर भारत और बांग्लादेश
 - अगस्त 2023 में भारत के 74 प्रतिशत स्टडी वीजा आवेदनों को कनाडा सरकार ने खारिज कर दिया था
 - कनाडा में वीजा रद्द करने के अधिकार के लिए एक बिल संसद में पेश किया गया है जिसे तेजी से पारित करने की योजना है
 
कनाडा की सरकार को फ्रॉड की चिंता सता रही है. इस वजह से वह कथित तौर पर कुछ समूह के ही वीजा आवेदनों को रद्द करने के लिए शक्तियों की मांग कर रही है. वह इसके लिए कानून बनाने जा रही है. कनाडा की सरकार के अंदरूनी डॉक्यूमेंट के हवाले से यह रिपोर्ट CBS न्यूज ने छापी है और दावा किया है कि खास तौर पर भारत और बांग्लादेश से आने वाले वीजा आवेदनों को निशाना बनाया जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार कनाडा के अधिकारियों ने भारत और बांग्लादेश से धोखाधड़ी करने वाले वीजा आवेदनों की पहचान करने और उन्हें रद्द करने के लिए अमेरिका की संस्थाओं के साथ पार्टनरशिप किया है.
यह रिपोर्ट उस समय आई है जब यह साफ हो गया है कि कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीजा जारी करने पर सख्ती अपनाई गई है. इसने विशेष रूप से भारत के उन स्टूडेंट्स को बुरी तरह प्रभावित किया है जिन्होंने आवेदन किया था. अगस्त में, कनाडा ने पढ़ाई के लिए वीजा अप्लाई करने वाले भारतीय स्टूडेंट्स में से 74 प्रतिशत के आवेदनों को खारिज कर दिया था- यानी चार में से लगभग तीन आवेदन खारिज कर दिए गए.
अब, कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री के ऑफिस में दिए गए एक डिपार्टमेंट प्रेजेंटेशन के हवाला से सीबीसी ने रिपोर्ट छापी है. इसमें बताया गया है कि कनाडा के आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC), कनाडा सीमा सेवा एजेंसी (CBSA) और उनके अमेरिकी भागीदारों ने मिलकर एक वर्किंग ग्रूप बनाया है. यह ग्रूप "देश-विशेष चुनौतियों" (इसमें भारत और बांग्लादेश को प्वाइंट आउट किया गया है) को देखते हुए अधिकारियों को वीजा देने से इनकार करने और रद्द करने का अधिकार देने के लिए बनाया गया है.
डॉक्यूमेंट में कथित तौर पर कहा गया है कि वीजा को बड़े पैमाने पर रद्द करने की शक्तियों का उपयोग महामारी, युद्ध और "देश-विशिष्ट वीज़ा होल्डर्स" जैसे परिदृश्यों में किया जा सकता है. हालांकि कनाडा की आप्रवासन मंत्री लीना डायब ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि सरकार महामारी या युद्ध स्थितियों के दौरान उपयोग करने के लिए ऐसी शक्तियों की मांग कर रही है, लेकिन उन्होंने देश-विशिष्ट वीज़ा होल्डर्स के खिलाफ इसके इस्तेमाल का कोई उल्लेख नहीं किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शक्ति को कानूनी रूप देने के लिए एक बिल कनाडाई संसद में पेश किया गया है और प्रधान मंत्री मार्क कार्नी की सरकार इसे तेजी से पारित करना चाहती है.
भारत को ही निशाना क्यों बनाया गया?
रिपोर्ट के अनुसार डॉक्यूमेंट में कथित तौर पर इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय नागरिकों की तरफ से कनाडा में शरण यानी असाइलम मांगने के दावे तेजी से बढ़े हैं. यह आंकड़ा मई 2023 में प्रति माह 500 से कम से बढ़कर जुलाई 2024 तक लगभग 2,000 हो गया है. इसमें दावा किया गया है कि भारत से आने वाले अस्थायी निवासी वीजा के आवेदनों को वेरिफाई करने से ही पूरे आवेदन को जांचने और पास करने का प्रॉसेस धीमा हो जाता है.
कथित तौर पर जो प्रॉसेसिंग टाइम जुलाई 2023 के अंत में औसतन 30 दिन था वो अब बढ़कर एक साल बाद 54 दिन हो गया है. इसके कारण, 2024 में आवेदन को मिलने वाला अप्रूवल भी कम होने लगा है. यह आंकड़ा जनवरी में 63,000 से अधिक था लेकिन जून में यह लगभग 48,000 तक आ गया. वजह है कि वेरिफिकेशन में ही बहुत टाइम लग रहा है. गौरतलब है कि पिछले एक दशक से कनाडा में सबसे अधिकर अंतरराष्ट्रीय छात्र भारत से ही जाते हैं.
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