कैंब्रिज एनालिटिका के दफ्तर की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राजनीतिक परामर्श मुहैया कराने वाली कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका के पूर्व सीईओ ने बुधवार को कहा कि उनका या उनकी कंपनी का ब्रिटेन के सांसदों को गुमराह करने का उनका कोई इरादा नहीं था. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि फेसबुक यूजर के डाटा तक कंपनी की पहुंच थी. एलेक्जेंडर निक्स ने माना कि इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी कंपनी ने ग्लोबल साइंस रिसर्च के माध्यम से फेसबुक डाटा लिया था , तब उन्हें और स्पष्ट तरीके से बताना चाहिए था.
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उन्होंने बताया कि फेसबुक के अनुरोध पर डाटा डिलीट कर दिया गया था. गौरतलब है कि यह कंपनी बीते कुछ समय से भारत समेत विश्व के कई देशों की राजनीतिक पार्टियों को चुनाव के दौरान आम लोगों से जुड़े डेटा देने का आरोप झेल रही है. भारत में इसपर कांग्रेस और बीजेपी को भी ऐसी मदद देने के आरोप लगे. इस मामले के सामने आने के बाद पता चला था कि कंपनी फेसबुक पर मौजूद लोगों के डेटा की स्टडी कर एक ऐसा डेटा बेस तैयार करती थी जो चुनाव के समय में राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी मददगार साबित होती थी. खास बात यह है कि कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने डेटा लीक मामले में कैंब्रिज एनालिटिका की जांच जारी रखने की बात कही थी.
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हालांकि , ब्रिटेन की कंपनी ने अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की है. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. ब्रिटेन की डेटा विश्लेषण एवं राजनीतिक परामर्श कंपनी द्वारा 8.7 करोड़ फेसबुक प्रयोगकर्ताओं के डेटा का राजनीतिक अभियान के लिए इस्तेमाल करने के लिए कई देशों में आलोचना हो रही है. भारत सरकार ने भी फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका को डेटा के इस्तेमाल के लिए नोटिस भेजा है. दोनों कंपनियों को नोटिस का जवाब 10 मई तक देना है.
कैंब्रिज एनालिटिका ने कल अपनी वेबसाइट पर कारोबार बंद करने की घोषणा करते हुए कहा कि उसे उन गतिविधियों के लिए ‘अपमानित’ किया जा रहा है जो वैध हैं. इस मामले से जुड़े भारतीय अधिकारियों ने कहा कि डेटा लीक मामले में जो नोटिस भेजे गए हैं और जो जांच हो रही है, वह जारी रहेगी. कंपनी पर यह जवाबदेही उसके द्वारा कारोबार बंद करने की घोषणा से पहले की है. (इनपुट भाषा से)
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उन्होंने बताया कि फेसबुक के अनुरोध पर डाटा डिलीट कर दिया गया था. गौरतलब है कि यह कंपनी बीते कुछ समय से भारत समेत विश्व के कई देशों की राजनीतिक पार्टियों को चुनाव के दौरान आम लोगों से जुड़े डेटा देने का आरोप झेल रही है. भारत में इसपर कांग्रेस और बीजेपी को भी ऐसी मदद देने के आरोप लगे. इस मामले के सामने आने के बाद पता चला था कि कंपनी फेसबुक पर मौजूद लोगों के डेटा की स्टडी कर एक ऐसा डेटा बेस तैयार करती थी जो चुनाव के समय में राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी मददगार साबित होती थी. खास बात यह है कि कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने डेटा लीक मामले में कैंब्रिज एनालिटिका की जांच जारी रखने की बात कही थी.
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हालांकि , ब्रिटेन की कंपनी ने अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की है. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. ब्रिटेन की डेटा विश्लेषण एवं राजनीतिक परामर्श कंपनी द्वारा 8.7 करोड़ फेसबुक प्रयोगकर्ताओं के डेटा का राजनीतिक अभियान के लिए इस्तेमाल करने के लिए कई देशों में आलोचना हो रही है. भारत सरकार ने भी फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका को डेटा के इस्तेमाल के लिए नोटिस भेजा है. दोनों कंपनियों को नोटिस का जवाब 10 मई तक देना है.
कैंब्रिज एनालिटिका ने कल अपनी वेबसाइट पर कारोबार बंद करने की घोषणा करते हुए कहा कि उसे उन गतिविधियों के लिए ‘अपमानित’ किया जा रहा है जो वैध हैं. इस मामले से जुड़े भारतीय अधिकारियों ने कहा कि डेटा लीक मामले में जो नोटिस भेजे गए हैं और जो जांच हो रही है, वह जारी रहेगी. कंपनी पर यह जवाबदेही उसके द्वारा कारोबार बंद करने की घोषणा से पहले की है. (इनपुट भाषा से)
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