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This Article is From Apr 30, 2011

शहीद घोषित बीएसएफ जवान पाकिस्तान में जीवित

फरीदकोट: भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 की लड़ाई के समय लापता सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हवलदार सुरजीत सिंह जीवित हैं। लड़ाई के तीन वर्ष बाद भारत सरकार ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया था। सुरजीत राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात थे। 40 वर्ष बाद उनके जीवित होने की सूचना पाकर सुरजीत के परिवार में खुशी की लहर दौड़ आई है। सुरजीत के परिजनों के मुताबिक पाकिस्तान के पूर्व मानवाधिकार मंत्री अंसार बर्नी ने इस बात की पुष्टि की है कि सुरजीत पाकिस्तान की एक जेल में हैं। फरीदकोट कस्बे में रहने वाली सुरजीत की पत्नी अंग्रेज कौर (61) ने बताया, "कई लोगों ने मुझे दोबारा शादी करने के लिए कहा लेकिन मुझे विश्वास था कि मेरे पति लौटेंगे। मैं यह जानकर खुश हैं कि मैं विधवा नहीं हूं। अब मैं उस क्षण की प्रतीक्षा कर रही हूं जब मैं उनको देखूंगी।" पेशे से फोटोग्राफर सुरजीत के पुत्र अमरीक (39) ने कहा, "पाकिस्तान की जेल में बंद मलेरकोटला निवासी खुशी मोहम्मद ने वर्ष 2004 में भारत लौटने पर हमें बताया कि मेरे पिता जीवित हैं और वह लाहौर की एक जेल में बंद हैं। इसके बाद हम सरकार और बीएसएफ से मिले लेकिन हमें दोनों जगह से संतोषजनक जवाब नहीं मिला।" इस दौरान पाकिस्तान से लौटने वाले कई भारतीय कैदियों ने सुरदीप के परिजनों को बताया कि वह जीवित हैं और वह लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद हैं। सुरदीप के परिवार को कई वर्ष के बाद भी जब भारत सरकार से मदद नहीं मिली तो उन्होंने बर्नी से मदद मांगी। अमरीक ने बताया कि वह अपने दोस्त अजय मेहरा के जरिए कुछ महीने पहले बर्नी से मिला था। बर्नी ने भरोसा दिलाया कि वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी एवं प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से मिलकर इस मामले पर चर्चा करेंगे। मेहरा ने बताया कि बर्नी लाहौर की जेल में जाकर गत 28 अप्रैल को सुरजीत से मिले और इसके बारे में उन्होंने उसे बताया। आधिकारिक अभिलेखों के मुताबिक तेहना गांव निवासी सुरजीत तीन दिसम्बर 1971 की रात जैसलमेर से लापता हो गए और उन्हें वर्ष 1974 में शहीद घोषित कर दिया गया। इसके बाद से उनकी पत्नी कौर को पेंशन और अन्य लाभ दिए जाने लगे।

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शहीद, बीएसएफ, जवान, पाकिस्तान
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