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This Article is From Dec 30, 2020

ब्रिटिश संसद यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट पर हुए ‘ऐतिहासिक करार’ पर करेगी मतदान

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने के तहत हुए मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को संसदीय मंजूरी दिलाने के लिए क्रिसमस की छुट्टियों के बाद बुधवार को संसद का सत्र बुलाया.

ब्रिटिश संसद यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट पर हुए ‘ऐतिहासिक करार’ पर करेगी मतदान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन - फाइल फोटो
लंदन:

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने के तहत हुए मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को संसदीय मंजूरी दिलाने के लिए क्रिसमस की छुट्टियों के बाद बुधवार को संसद का सत्र बुलाया ताकि अगले साल एक जनवरी को ईयू से भविष्य में होने वाले संबंधों के लिए प्रभावी हो रहा कानून संसदीय मंजूरी के साथ सभी बाधाएं पार कर जाए.

ब्रेक्जिट के लिए 31 दिसंबर तक की समय सीमा से महज कुछ समय पहले बनी सहमति के बाद 80 पन्नों का विधेयक संसद में पेश किया गया है जिसपर हाउस ऑफ कॉमन्स में सांसद चर्चा करेंगे और इसके बाद विधेयक पर हाउस ऑफ लार्ड में चर्चा होगी. जॉनसन ने सांसदों से ‘ऐतिहासिक विधेयक' का समर्थन करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि यह ब्रिटेन की यूरोपीय पड़ोसियों के साथ दरार नहीं बल्कि समाधान है. हाउस ऑफ कामन्स में अपने शुरुआती भाषण में कहा, ‘‘हम दरार नहीं चाहते बल्कि समाधान चाहते हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘...अब इस विधेयक के साथ हमारा मित्रतापूर्ण पड़ोस होगा-ईयू को सर्वोत्तम मित्र और सहयोगी मिलेगा. जहां कहीं भी हमारे मूल्य और हितों में परस्परता होगी, हम मिलकर काम करते हैं। साथ ही ब्रिटिश लोगों की प्रभुतासंपन्न इस मांग को पूरा किया जा सकेगा कि हम अपनी संसद द्वारा बनाये गये अपने कानूनों के तहत रहना चाहते हैं। इस विधेयक ने यह ऐतिहासिक समाधान दिया है.''

गौरतलब है कि एक बार संसद से विधेयक पारित होने के बाद यह बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार रात 11 बजे से प्रभावी हो जाएगा। एक समय कंजर्वेटिव पार्टी में ब्रेक्जिट के मामले में बागी रुख रखने वाला धड़ा इस समझौते का समर्थन कर रहा है जिससे आसानी से संसद में विधेयक के पारित होने की उम्मीद है.

विपक्ष लेबर पार्टी के नेता सर कियेर स्टारमेर ने भी अपने सांसदों को विधेयक के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया है क्योंकि समझौता नहीं होने पर बिना करार ही ब्रिटेन को ईयू से अलग होना पड़ेगा. हालांकि, लेबर पार्टी चर्चा के दौरान संशोधन लाने पर विचार कर रही हैं जिससे साल में दो बार व्यापारिक रिश्ते का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का आकलन सरकार के लिए करना जरूरी हो.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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