लंदन/नई दिल्ली:
भारत ने मंगलवार को कहा कि भारतीयों से वीजा बॉन्ड के रूप में भारी राशि लिए जाने के प्रस्ताव पर अभी ब्रिटिश सरकार ने विचार नहीं किया है। भारत के अनुसार ब्रिटेन ने उसे इस बारे में सूचना दी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा की लंदन में ब्रिटेन के व्यापार, अनुसंधान तथा कौशल मामलों के मंत्री विंसे केबल के साथ मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान केबल ने यह जानकारी शर्मा को दी।
नई दिल्ली में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘केबल ने भारतीय मंत्री को सूचित किया कि उन्होंने ब्रिटेन के गृहमंत्री के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। गृहमंत्री ने आश्वस्त किया कि यह एक प्रस्ताव है जिस पर ब्रिटिश सरकार ने कोई विचार नहीं किया है।’’
इससे पहले, शर्मा ने केबल और कैबिनेट कार्यालय में सरकारी नीति मामलों के मंत्री ओलिवर लेटविन के साथ मुलाकात के दौरान अखबारों में छपे इस मुद्दे को उठाया।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार भारत को उच्च जोखिम वाले देश की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव है जिसके कारण वीजा आवेदकों से नकद बॉन्ड लिया जाएगा।
समाचार पत्र संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा घाना समेत कम-से-कम छह देशों से आने वाले लोगों के लिये नवंबर से पायलट आधार पर योजना शुरू करने पर विचार कर रही है।
18 साल और उससे अधिक उम्र के सैलानियों को छह महीने के वीजा के लिए बॉन्ड के रूप में 3,000 पौंड से अधिक देना होगा। अगर वे निर्धारित समय से अधिक ब्रिटेन में रहते हैं तो उनकी राशि जब्त कर ली जाएगी।
इस बीच, भारतीय उच्चायोग से प्रस्तावित योजना के बारे में और ब्योरा हासिल करने को कहा गया है ताकि इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने बताया ‘‘मंत्रालय ने लंदन में हमारे मिशन से उस संभावित नई योजना के बारे में आई खबरों का आधिकारिक ब्योरा मांगा है जिसे ब्रिटेन लागू करने के लिए प्रयासरत है और जिससे उस देश में जाने वाले भारतीयों को दिक्कत हो सकती है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि ब्योरा मिलने के बाद मंत्रालय योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उठाने के लिए भारत-ब्रिटिश वाणिज्य दूतों के बीच बातचीत उचित मंच होगी। यह बातचीत अगले माह लंदन में होने वाली है। ब्रिटेन के प्रस्ताव पर चिंता जताते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने बयान में कहा, ‘‘इससे भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत होते संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।’’
ब्रिटेन के विभिन्न दलों के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और भारतीय उद्योग जगत ने इस योजना को ‘अनुचित और पक्षपातपूर्ण’ बताया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा की लंदन में ब्रिटेन के व्यापार, अनुसंधान तथा कौशल मामलों के मंत्री विंसे केबल के साथ मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान केबल ने यह जानकारी शर्मा को दी।
नई दिल्ली में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘केबल ने भारतीय मंत्री को सूचित किया कि उन्होंने ब्रिटेन के गृहमंत्री के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। गृहमंत्री ने आश्वस्त किया कि यह एक प्रस्ताव है जिस पर ब्रिटिश सरकार ने कोई विचार नहीं किया है।’’
इससे पहले, शर्मा ने केबल और कैबिनेट कार्यालय में सरकारी नीति मामलों के मंत्री ओलिवर लेटविन के साथ मुलाकात के दौरान अखबारों में छपे इस मुद्दे को उठाया।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार भारत को उच्च जोखिम वाले देश की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव है जिसके कारण वीजा आवेदकों से नकद बॉन्ड लिया जाएगा।
समाचार पत्र संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा घाना समेत कम-से-कम छह देशों से आने वाले लोगों के लिये नवंबर से पायलट आधार पर योजना शुरू करने पर विचार कर रही है।
18 साल और उससे अधिक उम्र के सैलानियों को छह महीने के वीजा के लिए बॉन्ड के रूप में 3,000 पौंड से अधिक देना होगा। अगर वे निर्धारित समय से अधिक ब्रिटेन में रहते हैं तो उनकी राशि जब्त कर ली जाएगी।
इस बीच, भारतीय उच्चायोग से प्रस्तावित योजना के बारे में और ब्योरा हासिल करने को कहा गया है ताकि इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने बताया ‘‘मंत्रालय ने लंदन में हमारे मिशन से उस संभावित नई योजना के बारे में आई खबरों का आधिकारिक ब्योरा मांगा है जिसे ब्रिटेन लागू करने के लिए प्रयासरत है और जिससे उस देश में जाने वाले भारतीयों को दिक्कत हो सकती है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि ब्योरा मिलने के बाद मंत्रालय योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उठाने के लिए भारत-ब्रिटिश वाणिज्य दूतों के बीच बातचीत उचित मंच होगी। यह बातचीत अगले माह लंदन में होने वाली है। ब्रिटेन के प्रस्ताव पर चिंता जताते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने बयान में कहा, ‘‘इससे भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत होते संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।’’
ब्रिटेन के विभिन्न दलों के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और भारतीय उद्योग जगत ने इस योजना को ‘अनुचित और पक्षपातपूर्ण’ बताया है।
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